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UP MLC Elections 2022: उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव में 98 प्रतिशत से अधिक मतदान

Updated Apr 09, 2022 | 18:42 IST

उत्तर प्रदेश में शनिवार यानी 9 अप्रैल को विधानपरिषद चुनाव के लिए मतदान हुआ, यह चुनाव बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए सियासी तौर पर अहम है।

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उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव में 98 प्रतिशत से अधिक मतदान
मुख्य बातें
  • विधान परिषद की 27 सीटों के लिए मतदान
  • बीजेपी और सपा दोनों के लिए नाक की लड़ाई
  • कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के द्विवार्षिक चुनाव में शनिवार को शाम चार बजे तक मतदान समाप्त हो गया और कुल 98 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। स्थानीय प्राधिकरण निर्वाचन क्षेत्रों के उत्तर प्रदेश विधान परिषद द्विवार्षिक चुनाव में 27 सीटों के लिए मतदान शनिवार सुबह आठ बजे शुरू हुआ और शाम चार बजे समाप्त हुआ। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना वोट डालने वाले शुरुआती मतदाताओं में से एक थे।

हालांकि, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव मैनपुरी में अपना वोट नहीं डाल सके, क्योंकि मथुरा-एटा-मैनपुरी स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से दो एमएलसी निर्विरोध चुने गए हैं। सैफई मतदान केंद्र पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव, सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने मतदान किया।

राज्य में शाम चार बजे तक औसतन 98.11 प्रतिशत मतदान दर्ज
भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, राज्य में शाम चार बजे तक औसतन 98.11 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जिसमें गोरखपुर में सबसे कम 96. 50 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक 99.35 प्रतिशत मतदान हुआ।उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के अनुसार, चुनाव मैदान में 95 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। कार्यालय के मुताबिक, विधान परिषद चुनाव में 739 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ, जिसमें 1,20,657 मतदाता हैं। मतदान शाम चार बजे समाप्त हो गया।

गोरखपुर में पत्रकारों से बातचीत में योगी ने कहा, 'हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 2017 की तरह दो-तिहाई से अधिक सीटें जीतीं और एक मजबूत सरकार बनाई। चार दशकों के बाद ऐसी स्थिति आ गई है, जब सत्ताधारी दल विधान परिषद में भी भारी जनादेश प्राप्त करने में सफल होगा।'

प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेठी में मतदान किया, जहां से वह लोकसभा सदस्य हैं।चुनाव कार्यालय के मुताबिक, जिन स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान हो रहा है, उनमें मुरादाबाद-बिजनौर, रामपुर-बरेली, पीलीभीत-शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ-उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बहराइच, गोंडा, फैजाबाद, बस्ती-सिद्धार्थनगर, गोरखपुर-महाराजगंज, देवरिया, आजमगढ़-मऊ, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी-जालौन-ललितपुर, कानपुर-फतेहपुर, इटावा-फरुखाबाद, आगरा-फिरोजाबाद, मेरठ-गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर-सहारनपुर शामिल हैं। ये 27 सीटें 58 जिलों में फैली हुए हैं।

वहीं, आठ स्थानीय प्राधिकरणों के निर्वाचन क्षेत्रों से नौ विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) निर्विरोध चुने गए हैं। विधान परिषद चुनाव में सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है, क्योंकि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। हालांकि, कुछ निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। मतों की गिनती 12 अप्रैल को होगी। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के उच्च सदन की 36 सीटें 35 स्थानीय अधिकारियों के निर्वाचन क्षेत्रों में फैली हुई हैं।

इस बीच, मैनपुरी में समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव ने  बताया, 'अखिलेश यादव ने अपना वोट नहीं डाला, क्योंकि इस सीट से एमएलसी निर्विरोध चुने गए हैं।' अखिलेश यादव करहल विधानसभा क्षेत्र (मैनपुरी जिले में) से विधायक हैं और मथुरा-एटा-मैनपुरी स्थानीय प्राधिकरण के निर्वाचन क्षेत्र से मतदाता हैं। इटावा से मिली खबर के अनुसार अस्वस्थता के चलते कार से मतदान केंद्र सैफई के अंदर पहुंच कर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने मतदान किया। सैफई में सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने भी मतदान किया।

स्थानीय प्राधिकरण निर्वाचन क्षेत्र के विधान परिषद चुनाव में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, खंड विकास परिषदों के अध्यक्ष एवं सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष और नगरीय निकायों के पार्षद मतदाता होते हैं। इसके अलावा विधायक और सांसद भी इस चुनाव में वोट डालते हैं।राज्य की 100 सदस्यीय विधान परिषद में इस समय भाजपा के 34, जबकि सपा के 17, बसपा के चार और कांग्रेस, अपना दल (सोनेलाल) व निषाद पार्टी के एक-एक सदस्य हैं। वहीं, शिक्षक दल के दो, जबकि निर्दल समूह का एक और एक निर्दलीय सदस्य भी विधान परिषद में मौजूद है। टिकट पाने वालों में देवरिया से डॉ. कफील खान, रामपुर-बरेली से मशकूर अहमद, लखनऊ-उन्नाव से सुनील कुमार साजन, बाराबंकी से राजेश कुमार और मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट से उदयवीर सिंह प्रमुख हैं।

बीजेपी का इन सीटों पर निर्विरोध कब्जा
बीजेपी ने चुनाव से पहले ही 9 सीटों यानी बदायूं, हरदोई, खीरी, मिर्जापुर, बुलंदशहर, मथुरा-एटा- मैनपुरी, सोनभद्र पर कब्जा करने में कामयाब रही है। ये वो सीटें हैं जिसके बारे में सपा ने ऐतराज जताया था कि सत्ता की बेजा इस्तेमाल करते हुए बीजेपी ने विरोधी उम्मीदवारों को नामांकन तक नहीं करने दिया।  

कुछ खास सीटों पर नजर
यहां पर हम बात कुछ खास सीटों की करेंगे, मसलन वाराणसी में बीजेपी उम्मीदवार ड़ा सुदामा पटेल के खिलाफ माफिया डॉन बृजेश सिंह की पत्नी चुनावी मैदान में हैं, इसके साथ ही गोरखपुर- महाराजगंज में बीजेपी ने सपा के नेता और विधानपरिषद सदस्य सी पी चंद को चुनावी मैदान में उतारा है जिसके बद लड़ाई दिलचस्प हो गई है। अगर बात आजमगढ़ की करें तो यह सीट सपा के लिए महत्वपूर्ण है। आजमगढ़ मऊ सीट पर बीजेपी ने सपा विधायक रमाकांत यादव के बेटे अरुणकांत यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। तो बीजेपी के एमएलसी रहे यशंवत सिंह के बेटे निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं। अब ये तीनों सीटें बीजेपी और सपा के लिए इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जहां गोरखपुर और वाराणसी में बीजेपी का दबदबा है तो आजमगढ़ में सपा का जलवा है। 

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