लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस वैज्ञानिक रूप से निर्भया फंड का उपयोग करके राज्य की राजधानी का विकास कर लखनऊ को एक सुरक्षित शहर के रूप में विकसित करेगी। अतिरिक्त महानिदेशक अंजू गुप्ता ने कहा कि निर्भया फंड से 67.75 करोड़ रुपए शहर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए खर्च किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक नया भवन पुलिस के एकीकृत स्मार्ट कंट्रोल रूम के रूप में कार्य करेगा। ये 'सेफ सिटी' परियोजना के तहत निर्माणाधीन है और अगले छह महीनों के भीतर पूरा हो जाएगा।
अंजू गुप्ता ने कहा, 'अपराध की आशंका वाले स्थानों पर 1,500 कैमरे भी लगाए जाएंगे। 110 पिंक पेट्रोल बाइक जो महिलाओं द्वारा संचालित होंगी, निर्भया फंड के तहत दी जा रही हैं। 100 पिंक बूथ स्थापित किए जाएंगे जहां महिला पुलिस तैनात की जाएगी ताकि महिलाएं आसानी से शिकायत दर्ज करा सकें।'
दिल्ली में 2012 में निर्भय गैंगरेप के बाद 2013 में महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तीकरण और सुरक्षा के लिए 1000 करोड़ रुपए के सरकारी योगदान के साथ निर्भया फंड की घोषणा की गई थी। इस फंड को वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा प्रशासित किया जाता है।
लेकिन कुछ राज्यों ने जहां इस फंड की नाममात्र की धनराशि खर्च की तो वहीं कई राज्य विभिन्न मदों में एक भी पाई का उपयोग करने में विफल रहे।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान निर्भया कोष के आवंटन के संबंध में सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार आवंटित धनराशि में से 11 राज्यों ने एक रुपया भी खर्च नहीं किया। इन राज्यों में महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा के अलावा दमन और दीव शामिल हैं। दिल्ली ने 390.90 करोड़ रुपए में सिर्फ 19.41 करोड़ रुपये खर्च किए। उत्तर प्रदेश ने निर्भया फंड के तहत आवंटित 119 करोड़ रुपए में से सिर्फ 3.93 करोड़ रुपए खर्च किए। कर्नाटक ने 191.72 करोड़ रुपए में से 13.62 करोड़ रुपए, तेलंगाना ने 103 करोड़ रुपए में से केवल 4.19 करोड़ रुपए खर्च किए। आंध्र प्रदेश ने 20.85 करोड़ में से केवल 8.14 करोड़ रुपए, बिहार ने 22.58 करोड़ रुपए में से मात्र 7.02 करोड़ रुपए खर्च किए।
इसके अलावा गुजरात ने 70.04 करोड़ रुपए में से 1.18 करोड़ रुपए, मध्य प्रदेश ने 43.16 करोड़ रुपए में से 6.39 करोड़ रुपए, तमिलनाडु ने 190.68 करोड़ रुपए में से 6 करोड़ रुपए, पश्चिम बंगाल ने 75.70 करोड़ रुपए में से 3.92 करोड़ रुपए खर्च किए।