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26/11 Mumbai Terror Attacks: सरकारी वादे की शिकार देविका रोटावान, 11 साल बाद अदालत का किया रुख

Updated Aug 26, 2020 | 07:38 IST

Devika Rotawan Story: देविका रोटावान,मुंबई हमलों की पीड़ित रही हैं। उनसे सरकारी वादे किए गए। लेकिन जमीन पर जब कुछ नजर नहीं आया तो उन्होंने बंबई हाईकोर्ट का रुख किया है।

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देविका रोटावान, मुंबई हमलों की रही हैं प्रत्यक्षदर्शी
मुख्य बातें
  • मुंबई आतंकी हमले में बाल बाल बचीं देविका रोटावान से किए गए थे वादे
  • 12 साल बाद भी न घर मिला और पढ़ाई के लिए किसी तरह की मदद
  • सरकारी उपेक्षा के बाद देविका ने अदालत का किया रुख

मुंबई। वैसे तो कैलेंडर की हर तारीख को कुछ न कुछ होता है। लेकिन 26 नवंबर 2008 का दिन मुंबई के लिए काली साबित हुई थी। आतंकियों ने निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। कड़ी कार्रवाई में आतंकियों को खात्मा कर दिया गया। लेकिन उसके साथ ही पीड़ितों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। मुंबई हमलों को पीड़ितों में से एक देविका रोटावान की कहानी कुछ वैसी ही है, न जानें कितने वादे उनसे किए गए। लेकिन वो सब वादे सिर्फ कागजों की शोभा बढ़ा रहे हैं। 

सरकारी वादे की शिकार
देविका रोटावान,मुंबई हमलों की प्रत्यक्षदर्शी थीं। उस आतंकी हमले में उनका सबकुछ छिन गया। देविका से उस समय बड़े बड़े वादे किए गए थे। लेकिन आज वो गंभीर आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रही हैं। वो सरकार से गुहार लगा रही हैं कि जो वादे किए गए थे कम से कम सरकार उसे पूरी कर दे। सरकार की तरफ एक अदद घर देने का वादा किया गया था। लेकिन वो आज भी इंतजार में हैं। जब उनकी सुनवाई नहीं हुई तो देविका वे बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया है जहां इसी हफ्ते सुनवाई होनी है।

मुंबई हमलों की प्रत्यक्षदर्शी
देविका बताती हैं कि 26 नवंबर 2008 को जब आतंकी हमला हुआ था, उस समय वो सीएसटी स्टेशन पर थीं। उसने देखा था कि आतंकी कसाब उसके और दूसरे लोगों पर गोलियां बरसा रहा था। उनकी 6 सर्जरी हुई और करीब 6 महीने तक बिस्तर से नहीं उठ सकीं। जब वो अस्पताल में थीं तो सरकारी अधिकारी उनसे मिलने के लिए आते थे और बड़े बड़े वादे किया करते थे। उनसे वादा किया गया कि कमजोर आर्थित वर्ग के तहत आवास मुहैया कराया जाएगा। इसके साथ ही पढ़ाई लिखाई में भी मदद की जाएगी। लेकिन आज तक कुछ भी नहीं हुआ। 

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