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मुंबई का धारावी जहां 100-100 लोग एक ही टॉयलेट करते हैं इस्तेमाल, वहां 'कोरोना' मान गया हार!

Updated Jan 04, 2021 | 13:59 IST

धारावी मुंबई की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती जहां बेतहाशा आबादी है उसने अपने हौसले के दम पर कोरोना को मात दे दी है,इसके पीछे कई वजह बताई जा रही हैं जो यहां कारगर रहीं।

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एशिया के सबसे बड़े स्लम मुंबई के धारावी ने कोरोना को ऐसे दी मात, कई फैक्टर आए काम
मुख्य बातें
  • धारावी को एशिया का सबसे बड़ा स्लम भी कहा जाता है
  • धारावी में ज्यादातर लोग दस बाई दस के छोटे-छोटे कमरों में रहते हैं
  • 4-टी मॉडल ने धारावी को 25 दिसंबर को ‘जीरो' केस पर पहुंचा दिया

मुंबई की झुग्गी बस्ती धारावी (Dharavi) का जिक्र आते ही आपते दिमाग में एक अलग ही छवि क्रिएट होती है जहां सिर ही सिर हैं वहां ना तो रहने की ढंग से जगह है और ना ही चलने फिरने लायक सड़के इसे एशिया के सबसे बड़े स्लम के रूप में पहनाना जाता है। धारावी की कुल वर्तमान आबादी कितनी है इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं है और इसे लेकर अनुमान ही लगाए जाते रहे हैं ऐसी जबर्द्स्त घनी बस्ती के लोगों ने कोरोना को मात दे दी है जी हां ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि आंकड़े इसे बयां कर रहे हैं 

25 दिसंबर 2020 की बात करें तो धारावी कोरोना के खिलाफ जंग में जीत की ओर बढ़ रहा है एक समय दुनिया के बेहद जोखिम वाले कोविड-19 हॉटस्पॉट में से एक धारावी में 25 दिसंबर को महामारी को लेकर एक भी नया केस दर्ज नहीं किया गया। घनी आबादी वाले धारावी में 1 अप्रैल को कोरोना का पहला केस दर्ज किया गया था और इसके बाद क्षेत्र में लगातार केस दर्ज किए जाते रहे थे।

यहां 3788 कोरोना पॉजिटिव हुए थे जिसमें से 3464 लोगों को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई थी, इस अच्छी खबर पर बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन ने भी एक पोस्ट के जरिए खुशी जाहिर की थी।

100-100 लोग एक ही टॉयलेट करते हैं इस्तेमाल

धारावी को एशिया का सबसे बड़ा स्लम भी कहा जाता है, यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना नामुमकिन था, कम्युनिटी टॉयलेट, तंग गलियां, बेहद करीब बनीं झुग्गी-झोपड़ियां इसकी बड़ी वजह थे। 2.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली धारावी में ज्यादातर लोग दस बाई दस के छोटे-छोटे कमरों में रहते हैं।एक-एक टॉयलेट को 100-100 लोग शेयर करते हैं और यहां सिर्फ सिर ही सिर दिखाई देते हैं ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर बाकी प्रिकॉशन लेने की बात यहां बेमानी ही थी।

4 T यानि-ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट, क्या इसने किया कमाल!

ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट! बीएमसी के इस 4-टी मॉडल ने धारावी को क्रिसमस के दिन ‘जीरो' केस पर पहुंचा दिया, धारावी में 1 अप्रैल को पहली बार कोरोना का मामला आया था वो भी मौत के साथ वहीं दिसंबर के अंत के दिनों में कोविड मरीजों की संख्या खासी गिरी।

कई रिपोर्टों में यह बात सामने आई कि धारावी के निवासियों ने कोरोना प्रतिबंधों-गाइडलाइंस, आइसोलेशन और देखभाल के व्यवस्थित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों का खासा सहयोग किया जिसका असर इस रूप में सामने आया है और सही हस्तक्षेप,आइसोलेशन और मरीजों की टेस्ट‍िंग की बदौलत प्रशासन धारावी को संक्रमण में संभावित बढ़ोतरी से दूर रखने में कामयाब रहा।

WHO ने धारावी मॉडल को सराहा था

धारावी ने जिस तरह से कोरोना मामलों पर नियंत्रण पाया है, उसकी दुनियाभर में तारीफ हो रही है, यहां आस-पास के क्लब और स्कूलों को आइसोलेशन और क्वारैंटाइन सेंटर में तब्दील कर दिया। धारावी में कोरोना को लेकर बीएमसी ने 'चेज द वायरस पॉलिसी' यानी वायरस का पीछा करना तकनीक का इस्तेमाल किया गया।

लॉकडाउन और टेस्टिंग भी प्रभावी रहे, जुलाई में  WHO ने धारावी मॉडल की तारीफ की थी। वहीं अब 25 दिसंबर को बीएमसी ने एशिया के सबसे बड़े स्लम से एक अच्छी खबर शेयर की थी कि 1 अप्रैल के बाद से पहली बार 24 घंटे में धारावी में कोई कोरोना पॉजिटिव केस नहीं मिला है।

कोविड ने आर्थिक तौर पर धारावी को बहुत बड़ा झटका दिया

2008 में धारावी को फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर में पृष्ठभूमि के रूप में सबसे अधिक इस्तेमाल किया गया था, साथ ही कई और फिल्मों में इसको दिखाया गया है, धारावी की संकरी गलियों में यहां का सालाना बिज़नेस टर्नओवर एक अनुमान के मुताबिक करीब 7,000 करोड़ का बताया जाता है, चमड़ा, टेक्स्टाइल और प्लास्टिक का हजारों करोड़ का कारोबार धारावी की तंग गलियों में बेहद छोटे-छोटे कमरों में चलता है वहीं कोविड-19 ने आर्थिक तौर पर धारावी को बहुत बड़ा झटका दिया लेकिन कोरोना से फ्री होकर धारावी ने साबित कर दिया है कि हौसला हो कुछ भी मुमकिन है।

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