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दादा ने पोर्न फिल्म दिखाकर किया पोती से रेप, कोर्ट ने दी कड़ी सजा, कहा- उम्र से कम नहीं होता गुनाह

Updated May 16, 2022 | 20:15 IST

Mumbai News: महाराष्ट्र के मुंबई में नाबालिग पोती का शारीरिक शोषण करने वाले दादा को कोर्ट ने कड़ी सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी दादा को 7 साल की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया है। साथ ही टिप्पणी देते हुए कहा है कि उम्र ज्यादा होने से गुनाह कम नहीं होता है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
कलयुगी दादा ने पोती से किया रेप
मुख्य बातें
  • पोती का शारीरिक शोषण करने वाले आरोपी दादा को कड़ी सजा
  • कोर्ट ने बोला- उम्र ज्यादा होने से कम नहीं होगा गुनाह
  • आरोपी दादा को कोर्ट ने सुनाई 7 साल की सजा

Mumbai Crime: 13 साल की अपनी सौतेली पोती का लगातार शारीरिक शोषण और मोबाइल पर उसे पोर्न फिल्में दिखाने वाले कलियुगी दादा को स्पेशल पोक्सो अदालत ने कड़ी सजा सुनाई है। 70 साल के बुजुर्ग पर पोती ने ही रेप का आरोप लगाया था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। अब कोर्ट ने इसपर फैसला सुनाते हुए सात साल की सजा सुनाई है।

इस दौरान आरोपी ने अपनी उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सजा में ढील की मांग की लेकिन कोर्ट ने इसपर सख्त टिप्पणी की और कहा कि उम्र ज्यादा होने से गुनाह कम नहीं हो जाएगा। 

मां ने रंगे हाथों पकड़ा आरोपी को 

आपको बता दें कि, 6 सितंबर,2014 में यह मामला उस समय सामने आया था, जब पीड़िता की मां ने अपनी बेटी को मोबाइल फोन पर पोर्न दिखाते हुए ससुर को रंगे हाथों पकड़ा था। जब मां ने बेटी से पूछताछ की तो उसने बताया कि सौतेले दादा उसका रेप करते है। हालांकि, आरोपी ने दावा किया था कि वह सिर्फ उसे गाने दिखा रहा था। बाद में इस मामले में केस दर्ज कर लिया गया। मामला कोर्ट पहुंचा जहां पीड़िता के वकील ने आरोपी के खिलाफ उम्र कैद की सजा मांगी थी। वकील ने कहा कि था कि किसी महिला या लड़की के साथ रेप जैसी वारदात जिंदगी भर के लिए एक जख्म छोड़ देती है।  

ये जख्म जिंदगीभर पीड़िता के साथ रहेगा

दूसरी ओर आरोपी ने कोर्ट में कहा था कि वह पैरालाइज अटैक से जूझ रहा है। इस आधार पर उसे सिर्फ जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाए। ऐसे में कोर्ट के स्पेशल जज ने कहा था कि आरोपी की उम्र या बीमारी के आधार पर सजा में ढील नहीं हो सकती है। जज ने आगे कहा कि आरोपी ने पीड़िता का भरोसा तोड़ा है। ये जख्म पीड़िता के साथ जिदंगी भर साथ रहेगा, यहां तक की उसकी शादी के बाद भी।

मोबाइल बच्चों को न दें 

वहीं अदालत ने सलाह दी कि कम उम्र में बच्चों को मोबाइल फोन देने से बचना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कम उम्र में बच्चों को इस बात की समझ नहीं होती कि वे क्या कर रहे हैं या बाकी लोग उनके साथ क्या कर रहे हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि जब चीजें हाथों से बाहर हो जाती हैं, तब अभिभावकों को इस बात का पछतावा होता है। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान का ये केस इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण भी है।

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