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Eye Donation: अब नेत्रदान के लिए मुंबई से बाहर जाने की जरूरत नहीं, इस अस्पताल में शुरू हुई 24 घंटे सुविधा

Updated Mar 19, 2022 | 17:59 IST

Eye Donation: एक मृतक की आंखें एक जिंदा लेकिन नेत्रहीन व्यक्ति के जीवन में जीवन का नया उजाला भर सकती हैं। मुंबई में नेत्रदान के लिए पहले सुविधाएं अच्छे स्तर पर नहीं थी, लेकिन अब लोग आसानी से मुंबई के तीन अस्पतालों में नेत्रदान के लिए शव को लेकर जा सकते हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
मुंबई में ही मिलेगी अब मरणोपरांत नेत्रदान की सुविधा
मुख्य बातें
  • मुंबई में ही अब मरणोपरांत नेत्रदान की सुविधा
  • पहले लोगों को शव के साथ मुंबई से बाहर जाने की पड़ती थी जरूरत
  • एक मृतक की आंखें दे सकती हैं जिंदा इंसान को नया जीवन

Eye Donation: जो इस दुनिया से जा चुका उसे वापस लाना तो नामुमकिन है, लेकिन जाते जाते कई बार मृतक के अंग किसी जिंदा इंसान को नया जीवन दे देते हैं। इन्हीं में से एक है नेत्रदान, जिससे ना जाने कितने इंसानों के जीवन में उजाला छा जाता है। मुंबई में नागरिकों की सेवा के लिए 3 अस्पताल उपलब्ध हैं, जिनमें बाई रुक्मिणीबाई अस्पताल, शास्त्रीनगर अस्पताल और वसंत घाटी अस्पताल (मातृत्व अस्पताल) शामिल हैं।

अब 24 घंटे बाई रुक्मिणीबाई अस्पताल में नेत्रदान की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। बाई रुक्मिणीबाई अस्पताल में प्राप्त लाशों की पहले जांच की जाती है और चूंकि नेत्रदान सबसे अच्छा दान है, इसलिए मृतक के परिजनों को नेत्रदान के लिए परामर्श दिया जाता है। ऐसा देखा जा रहा है कि, चेहरे खराब होने के डर से परिजन मरणोपरांत नेत्रदान करने से कतरा रहे हैं। इसके लिए परिजनों को सलाह दी जाती है कि नेत्रदान से मृतक का चेहरा खराब नहीं होगा।

दान के लिए समझौता ज्ञापन

नेत्रदान के लिए समझौता ज्ञापन निगम के चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अश्विनी पाटिल ने मातोश्री गोमतीबेन रतनशीभाई छेड़ा सहियारा आई बैंक के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। और मातोश्री गोमतीबेन रतनशीभाई छेड़ा सहियारा आई बैंक ने संयुक्त रूप से बाई रुक्मिणीबाई अस्पताल में 3 मार्च 2022 से नेत्रदान की सुविधा प्रदान की और अब तक 3 मृतक व्यक्तियों का रक्तदान किया गया है। रुक्मिणीबाई अस्पताल में नेत्रदान के संबंध में जानकारी उपलब्ध है।

नेत्रदान से मिलेगा नया जीवन 

मृत्‍यु के बाद आपकी आंखों से क‍िसी को म‍िल सकता है नया जीवन नेत्रदान के बारे में कहा जाता है क‍ि ये इंसानों में दान क‍िए जाने वाले अंगों में से सबसे ऊपर आता है। यानी अंगदान में ये सबसे ज्‍यादा की जाने वाली प्रक्र‍िया है। व‍िश्‍वभर में दृष्‍ट‍िहीन लोगों की जनसंख्‍या का एक चौथाई ह‍िस्‍सा हमारे देश में है। दृष्‍ट‍िहीन लोगों को आंखों की रौशनी हास‍िल करने के ल‍िए कॉर्न‍ियल ट्रांसप्‍लांट की जरूरत होती है, पर जानकारी के अभाव में लोग नेत्रदान नहीं करते और जरूरतमंद इंतजार में ही ज‍िंदगी काट देते हैं। स्‍वास्‍थ्‍य के व‍िषयों में रुच‍ि रखने वाले लोगों को नेत्रदान से जुड़ी जानकारी को ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है।

वहीं डॉक्टर पुरुषोत्तम टिके ने कहा कि, पर‍िवार वालों को ज‍ितना जल्‍दी हो सके नेत्रदान की प्रक्र‍िया पूरी करवानी चाह‍िए। आंखों को डोनेट के बाद जल्‍द से जल्‍द ट्रांसप्‍लांट कर द‍िया जाता है। अगर समय लगता है तो कॉर्न‍िया को कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा जाता है, जहां से 7 द‍िनों के अंदर उसका इस्‍तेमाल कर ल‍िया जाता है। नेत्रदान सरल और आसान प्रक्र‍िया है, इसमें महज 10 से 15 म‍िनट का समय लगता है। मृत्‍यु के बाद नेत्रदान करने के ल‍िए डोनर के पर‍िवार द्वारा आईबैंक में जाकर फॉर्म भरा जाता है। फॉर्म भरने के बाद पंजीकरण क‍िया जाता है, उसके बाद कार्ड भरा जाता है। ये पंजीकरण आप मृत्‍यु से पहले भी करवा सकते हैं, ताक‍ि मृत्‍यु के बाद आपकी आंखों को दान क‍िया जा सके। डोनर के पर‍िवार वालों के न‍िकटतम आईबैंक में टीम को सूच‍ित करना होता है, इसके बाद टीम कॉर्न‍िया न‍िकालने की प्रक्र‍िया पूरी करते हैं। मृत्‍यु के बाद आंखों को न‍िकालने से चेहरे पर कोई न‍िशान नहीं बनता और न ही अंतिम संस्‍कार में क‍िसी प्रकार की कोई देरी होती है।

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