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Mumbai:परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत बरकरार, एक हफ्ते में जवाब दाखिल करे सीबीआई

Updated Dec 06, 2021 | 16:32 IST

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत को बरकरार रखा है।

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परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत बरकरार

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Param Bir Singh) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट  में सुनवाई हुई परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत फिलहाल बरकरार रहेगी , सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुंबई पुलिस द्वारा कोई चालान परमबीर के खिलाफ नहीं दायर किया जाएगा, हालांकि जांच जारी रखी जाएगी।

कोर्ट ने सीबीआई को परमबीर सिंह की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 11 दिसंबर की तारीख तय की।

परमबीर सिंह पर महाराष्ट्र सरकार ने कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया था। दरअसल, परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ कई आरोप लगाए थे। जिसके बाद से अनिल देशमुख के ऊपर ईडी व सीबीआई की जांच चल रही है। 

"परमबीर सिंह व्हिसलब्लोअर नहीं, तबादले के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई"

महाराष्ट्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को कानून के तहत 'व्हिसलब्लोअर' नहीं माना जा सकता, क्योंकि उन्होंने अपने तबादले के बाद ही पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने का फैसला किया। राज्य सरकार ने साथ ही, परमबीर सिंह की याचिका को खारिज करने का भी न्यायालय से अनुरोध किया।न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने गत 22 नवंबर को सिंह को बड़ी राहत देते हुए महाराष्ट्र पुलिस को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में उन्हें गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया था और आश्चर्य जताते हुए कहा था कि जब पुलिस अधिकारियों और जबरन वसूली करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए उनका (सिंह का) पीछा किया जा रहा है, तो एक आम आदमी का क्या होगा।'

महाराष्ट्र सरकार ने पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने और राज्य सरकार द्वारा किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने संबंधी परमबीर सिंह की याचिका खारिज करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में एक जवाबी हलफनामा दायर किया और कहा कि पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मामलों में चल रही जांच में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। राज्य गृह विभाग के संयुक्त सचिव वेंकटेश माधव की ओर से दायर हलनफनामे में कहा गया है, 'याचिकाकर्ता (सिंह) को व्हिसलब्लोअर नहीं माना जा सकता है। मैं कहना चाहता हूं कि मौजूदा एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) में किये गये दावे के विपरीत याचिकाकर्ता व्हिसलब्लोअर संरक्षरण कानून, 2014 के प्रावधानों के तहत व्हिसलब्लोअर नहीं है।'
 

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