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भारतीय सेना के लिए ड्रोन बनाते हैं 28 साल के सागर, इंजीनियरिंग की पढ़ाई में आया था आइडिया

Updated Aug 14, 2021 | 11:59 IST

रोबोटिक्स सॉल्यूशंस की दुनिया में सागर गुप्ता ने तेजी से सफलता के पायदान चढ़े हैं। केवल 28 साल की उम्र में वह भारतीय सेना के लिए ड्रोन सप्लाई कर रहे हैं।

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ड्रोन का प्रदर्शन करते इंडिया रोबोटिक्स सॉल्यूशंस की टीम
मुख्य बातें
  • भारतीय सेना के लिए तीन तरह से ड्रोन सप्लाई कर रहे हैं
  • कोरोना के दौर में दिल्ली में ड्रोन के जरिए सेनेटाइजेशन और तापमान लेने का भी सॉल्यूशन दिया
  • सागर का मानना है जिस तरह से ड्रोन की मांग बढ़ी है, भारत में 3-4 साल में अरब डॉलर की ड्रोन इंडस्ट्री खड़ी हो जाएगी

नई दिल्ली: रोबोट (Robot) का नाम सुनते ही हम एक फंतासी की दुनिया में चले जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन पर उस फंतासी को हकीकत में बदलने का जुनून छा जाता है। इस तरह का जुनून इंडिया रोबोटिक्स सॉल्यूशंस (India Robotic Solutions) प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक एवं सीईओ सागर गुप्ता नौगरिया (Sagar Gupta) भी रखते हैं। और करीब 5 साल पहले शुरू यह जुनून अब एक कंपनी की शक्ल ले चुका है। जो रोबोटिक्स सॉल्यूशंस मुहैया कराती है। इसके तहत सागर ने, न केवल कोविड-19 के दौर में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर दिल्ली की संकरी गलियों में सेनिटाइजेशन (Sanitization) करना संभव किया बल्कि अब वह भारतीय सेना के लिए ड्रोन (Drone) की भी आपूर्ति कर रहे हैं। जो जम्मू एवं कश्मीर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों भारतीय सेना के लिए कारगर साबित हो रहा है।

सागर को कॉलेज में आया ये 'आइडिया'

"टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल" से बात करते सागर गुप्ता कहते हैं "जब मैं ग्वालियर से साल 2011-15 के दौरान इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, तो उस दौरान प्रोजेक्ट तैयार करते समय मेरी रोबोटिक्स के प्रति रूचि बढ़ गई। उस दौरान मैं छोटे-छोटे रोबोट का इस्तेमाल करने लगा और जब उसके पार्ट्स खराब होते तो खरीदने के लिए दिल्ली जाना पड़ता था। यहां मुझे अहसास हुआ कि अभी लोगों को रोबोट के पार्ट्स आसानी से नहीं मिल पाते हैं। तो मैं इन पार्ट्स को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए बेचना शुरू कर दिया। यहां से न केवल मुझे अनुभव मिलता गया बल्कि समझ भी बढ़ती गई। " और 2015 के बाद मैंने नौकरी की, लेकिन करीब डेढ़ साल बाद मैंने अपना बिजनेस शुरू किया। शुरू में  दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र मेरे ग्राहक बने। इसके बाद ड्रोन की डिमांड भी शुरू होने लगी। यही से मैंने फिर रोबोटिक्स सॉल्यूशंस का बिजनेस शुरू किया।

2017 में सेना से भी मिलने लगे ऑर्डर

ड्रोन के बिजनेस में आने के बाद मुझे भारतीय सेना के लोगों से मिलने का मौका मिला। और उस वक्त उन्हें ड्रोन के सॉल्यूशंस चाहिए थे। यही से मेरी उनके साथ शुरूआत हुई। और इस समय तक हमारे पास 12 लोगों की टीम बन गई है। अभी हम भारतीय सेना के लिए तीन तरह ड्रोन विकसित किए हैं। इसमें से एक प्रोडक्ट ट्रांसफार्मर बनाया है, जिसे 15 अगस्त को लांच कर रहे हैं।  हमने ड्रोन को मॉड्यूलर बना दिया है, जो सेना के लिए कही लाने-जाने के लिए बेहद सुविधाजनक हो गया है। दूसरा उसकी रिपेयरिंग भी आसान हो गई है। इसके लिए हमने पेंटेट का भी आवेदन कर दिया है। इसके अलावा ऐसे ड्रोन बना रहे हैं, जो कि  दिन,रात दोनों में काम कर सकेगा। इसके लिए बस कैमरा चेंज करना होगा। अभी  दूसरे ड्रोन में ऐसी सुविधा नहीं रहती है। साथ ही वह ड्रोन थोड़े बदलाव के सामान की ढुलाई भी कर सकेगा। सेना इन ड्रोन के जरिए निगरानी करने  का काम कर रही है।

कोरोना से बचाव के लिए विकसित किए ड्रोन

इसी तरह जब कोरोना का संक्रमण फैला तो सेनेटाइजेशन पर जोर बढ़ गया था। उस वक्त दिल्ली के कई ऐसे संकरे इलाके थे जहां पर दिल्ली सरकार की गाड़ियां नहीं पहुंच पा रही थी। हमने ऐसे ड्रोन विकसित किए, जिससे सेनेटाइजेशन आसान हुआ। खास तौर पर स्लम एरिया में इन ड्रोन का काफी इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा एक ऐसा ड्रोन भी विकसित किया जो दूर से ही लोगों  का तापमान ले सकता था। इस तरह के ड्रोन में हमने थर्मल कैमरा फिट किया था। जो कि  5-10 मीटर की दूरी से ही तापमान ले सकता है।

'मुख्य रुप से सेना और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं'

ऐसे में कोविड जांच के जरिए संक्रमण का खतरा काफी कम हो गया। इस दौरान दिल्ली में हमने करीब 20 लाख लोगों के क्षेत्र में सेनेटाइजेशन किया। इस काम के लिए एनडीएमसी के साथ हमने साझेदारी की थी। इसके अलावा नोएडा अथॉरिटी के साथ मिलकर भी काम किया। मुख्य रुप से हम सेना और राज्य सरकारों के साथ अभी मिलकर काम कर रहे हैं। साथ ही निजी क्षेत्र की कुछ कंपनियों के लिए काम किया है। जहां तक कंपनी के टर्नओवर की बात है तो वह 2 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सागर कहते हैं जिस तरह तेजी से रोबोटिक सॉल्यूशंस की मांग बढ़ रही है। और कोविड-19 के बाद  कंपनियों का ऑटोमेशन पर जोर बढ़ा है, उससे अगले 3-4 साल में अकेले ड्रोन इंडस्ट्री एक अरब डॉलर की होगी।