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'बेकरी सिस्टर्स' बन रही हैं आदिवासी महिलाओं की प्रेरणा, रागी से बने प्रोडक्ट्स को दुनिया से करा रहीं रूबरू

Updated Aug 13, 2021 | 20:28 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

साल 2017 में 10 आदिवासी महिलाओं के एक समूह ने अपना बेकरी नाम से एक बिजनेस शुरु किया था। आज इनका प्रोडक्ट गुजरात के बड़े शहरों सूरत, अहमदाबाद से लेकर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई तक सप्लाई हो रहा है।

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देश में महिलाएं आज ना सिर्फ पुरुषों की बराबरी कर रहीं हैं बल्कि कई मामलों में उनसे आगे भी निकल रही हैं। आज बात गुजरात की आदिवासी 'बेकरी सिस्टर्स' की जिन्होंने अपने बलबूते पर ना सिर्फ एक कारोबार खड़ा किया बल्कि लोगों को रागी से बने प्रोडक्ट से रूबरू भी करा रही हैं। साल 2017 में 'अपना बेकरी' के नाम से 10 आदिवासी महिलाओं के एक समूह ने यह बिजनेस शुरू किया और आज इनका प्रोडक्ट गुजरात के बड़े शहरों सूरत, अहमदाबाद से लेकर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई तक सप्लाई हो रहा है।

शुरुआत में हुई थोड़ी समस्या
यहां यह महिलाएं प्रोटीन और विटामिन से भरे रागी के बिस्किट तो बनाती ही हैं, साथ ही वह स्पेशल चकरी टोस्ट और पापड़ भी बनाती हैं। शुरुआत में महिलाओं को अपने प्रोडक्ट बेचने में थोड़ी समस्या जरूर हुई लेकिन आज इन्हें ऑर्डर्स की कमी नहीं है। हालांकि बीच में लॉकडाउन की वजह से उनका व्यापार कुछ समय के लिए जरूर प्रभावित हुआ, लेकिन इन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी और लॉकडाउन खुलने के बाद फिर से अपना कारोबार उसी जोर-शोर से शुरू कर दिया जैसे कि पहले करती थी।

रोजाना 200 रूपए दी जाती है दिहाड़ी
आपको बता दें यहां हर महिला को प्रतिदिन की दिहाड़ी के हिसाब से 200 रुपए दिए जाते हैं और बाकी के बचे पैसे रॉ मैटेरियल खरीदने के लिए बैंक में जमा कर दिए जाते हैं। इन आदिवासी महिलाओं ने अपने इस प्रयास से ना सिर्फ अपना जीवन संवारा है बल्कि देश की उन तमाम महिलाओं को संदेश दिया है जो अपने बलबूते पर कुछ करना चाहती हैं। गांव में रहकर महिलाओं ने इस व्यापार को खड़ा कर देशभर की तमाम महिलाओं को यह बता दिया है कि अगर आपके मन में किसी काम को करने की लगन हो तो आप कहीं भी रहें अपना मुकाम हासिल कर ही लेते हैं।