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Greater noida: स्ट्रीट डॉग्स को ग्रेटर नोएडा के लोगों के लिए राहत की खबर, प्रोजेक्ट भैरव इस तरह कर रहा है मदद

Updated Mar 13, 2022 | 12:32 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Greater noida: ग्रेटर नोएडा में स्ट्रे डॉग्स की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने और उनसे निवासियों को हो परेशानी को दूर करने के लिए प्राधिकरण ने "प्रोजेक्ट भैरव" शुरू किया है। इसके तहत इन कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन कराई जा रही है। इसके लिए सोसाइटी व सेक्टरवासियों से भी प्रति कुत्ते के हिसाब से 250 रुपये जमा कराए जा रहे है।

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"प्रोजेक्ट भैरव" के तहत कराई जा रही लावारिस कुत्तों की नसंबदी व वैक्सीनेशन
मुख्य बातें
  • ह्यूमन वेलफेयर संस्था को दी गई है इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी
  • 34 सोसाइटियों व सेक्टरों के 135 डॉग्स की नसबंदी के लिए हो गए है पैसे जमा
  • एक कुत्ते की नसबंदी व वैक्सीनेशन पर हो रहे है 1000 रुपये खर्च

Greater noida: ग्रेटर नोएडा के लोगों के लिए राहत भरी खबर है। स्ट्रीट डॉग्स की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने और उनसे निवासियों को होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए प्राधिकरण का "प्रोजेक्ट भैरव" बहुत कारगर साबित हो रहा है। ग्रेटर नोएडा के कुत्तों को पट्टेदार बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं नसबंदी और वैक्सीनेशन करने के बाद इन कुत्तों का बायोडाटा भी तैयार हो रहा है। प्राधिकरण के जनस्वास्थ्य विभाग की टीम जब नसबंदी व वैक्सीनेशन के बाद डॉग्स को वापस सेक्टर या सोसाइटी में छोड़ने जाती है, तब उसका प्रिस्क्रिपशन भी सौंप रही है, जिसमें इन डॉग्स का पूरा ब्यौरा भी होता है।

अब तक 34 कुत्तों की नसबंदी व वैक्सीनेशन हो चुकी है ,साथ ही इनका बायोडाटा भी तैयार कर लिया गया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण के निर्देश पर, स्ट्रे डॉग्स से होने वाली परेशानी से निवासियों को राहत दिलाने के लिए प्राधिकरण ने "प्रोजेक्ट भैरव" के नाम से कुत्तों की नसंबदी व वैक्सीनेशन की शुरूआत की। बीते 24 फरवरी से इसकी शुरुआत की गई है। इसके जरिए अब तक पांच सेक्टरों व सोसाइटियों के 34 डॉग्स की नसबंदी व वैक्सीनेशन की गयी है। इनमें ओमीक्रॉन दो, डेल्टा वन, अल्फा वन, ग्रीन वुड सोसाइटी शामिल हैं।

ह्यूमन वेलफेयर संस्था को दी गई है जिम्मेदारी

इन डॉग्स को पांच दिन कैनल्स में रखकर उनकी देखभाल करने के बाद उसी जगह वापस छोड़ दिया गया है। जिस डॉग की नसबंदी व वैक्सीनेशन हो जाती है, उनको उसी सेक्टर या सोसाइटी में वापस छोड़ने के साथ ही, वहां की एसोसिएशन को इनका प्रिस्क्रिपशन भी सौंप दिया जाता है, ताकि उसका ब्यौरा आरडब्ल्यूए के पास उपलब्ध रहे। इस प्रोजेक्ट भैरव के जरिए हर डॉग का बायोडाटा भी तैयार हो रहा है। ह्यूमन वेलफेयर संस्था को इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी दी गई है। यही संस्था डॉग्स को पकड़कर लाती है और डॉग्स की नसबंदी व वैक्सीनेशन करने के बाद वापस उसी जगह छोड़ती है।

नीले और गुलाबी रंग के पट्टे बनाए गए

ग्रेटर नोएडा के सेक्टर स्वर्णनगरी में स्ट्रे डॉग्स का नसबंदी केंद्र बनाया गया है। पहचान के लिए नसबंदी व वैक्सीनेशन के बाद कुत्ते के गले में नीले व गुलाबी रंग का पट्टा भी पहनाया जा रहा है। साथ ही कान पर कट भी लगा दिया गया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के जनस्वाथ्य विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक सलिल यादव ने बताया कि, अब तक 34 सोसाइटियों व सेक्टरों के 135 डॉग्स की नसबंदी के लिए पैसे जमा हो गए हैं। इनमें एल्डिको मिडोस, गौड़ सिटी एवेन्यू फर्स्ट, एडब्ल्यूएचओ, फाई थ्री, पाई वन स्थित दीवानी न्यायालय सोसाइटी, विक्ट्री वन, स्टेलर माई लिगेसी, सुपरटेक इकोविलेज टू, एटीएस ग्रीन पैराडिसो, ओमीक्रॉन-वन आदि शामिल हैं। इन सोसाइटियों की तरफ से प्रति डॉग के हिसाब से 250 रुपये जमा कराए गए हैं। इनकी भी नसबंदी व वैक्सीनेशन कराकर वापस छोड़ा जाएगा। प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने ग्रेटर नोएडावासियों से स्ट्रे डॉग की नसबंदी कराने के लिए आगे आने की अपील की है।

डॉग्स की नसबंदी के लिए इस नंबर पर करें कॉल

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने डॉग्स की नसबंदी कराने के लिए मोबाइल नंबर 7838565456 जारी किया है। साथ ही, ग्रेटर नोएडा एबीसी हेल्पलाइन नंबर 8005867769 पर कॉल करके नसबंदी कराने की सूचना दी जा सकती है।

इस खाते में जमा कराएं पैसे

सेक्टरवासी या सोसाइटी के निवासी ह्यूमेन वेलफेयर सोसाइटी के बैंक खाते में प्रति कुत्ते के हिसाब से 250 रुपये जमा कर दे, जिससे संस्था की टीम मौके पर जाकर डॉग्स को पकड़कर लाएगी। उनकी नसबंदी के बाद वापस छोड़ आएगी।

इसलिए जरूरी है 250 रुपये 

वरिष्ठ प्रबंधक सलिल यादव ने बताया कि, एक कुत्ते की नसबंदी व वैक्सीनेशन पर 1000 रुपये खर्च हो रहे हैं। प्राधिकरण यहां के निवसियों से प्रति कुत्ते के हिसाब से सिर्फ 250 रुपये ही ले रहा है। बाकी 750 रुपये प्राधिकरण ही वहन कर रहा है। यह पैसा प्राधिकरण अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए नहीं ले रहा, बल्कि इसलिए ले रहा है, ताकि यहां के निवासी इस मुहिम से खुद भी जुड़ें। लावारिस कुत्तों की खुद से निगरानी करें।