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Patna PMC Hospital : पीएमसीएच में अब 2 दिन अलग से होगा गठिया मरीजों का इलाज, इस कारण होती है ये बीमारी

Updated Apr 02, 2022 | 18:30 IST

Patna PMC Hospital : गठिया मरीजों के लिए बड़ी खबर है। अब पीएमसीएच में हफ्ते में दो दिन मरीज अपना अलग से इलाज करा सकेंगे।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
अब गठिया मरीज हफ्ते में 2 दिन अलग से कर सकेंगे अपना इलाज
मुख्य बातें
  • पीएमसीएच में गठिया मरीजों को अलग से मिलेगा इलाज
  • हफ्ते में दो दिन गठिया मरीजों को मिलेगी चिकित्सकीय सुविधा
  • खून में संक्रमण के कारण होती है गठिया की समस्या

Patna PMC Hospital : पटना स्थित पीएमसीएच में अब मंगलवार और बुधवार को ओपीडी में गठिया मरीजों का इलाज किया जाएगा। इनका इलाज अलग से होगा। इसके लिए सीनियर डॉक्टर व जूनियर डॉक्टरों की ड्यूटी लगा दी गई है। दरअसल, कोरोना की तीसरी लहर के बाद हड्डी के रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। अधिक भीड़ को देखते हुए गठिया मरीजों को विशेष सुविधा देने का निर्णय लिया गया। 
इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि, कोरोना संक्रमण की वजह से गठिया मरीजों का इलाज सामान्य मरीजों की तरह किया जा रहा था। अब स्थिति सुधरने पर एक बार फिर अलग से इन मरीजों का इलाज शुरू होगा। अब गठिया मरीजों का इलाज मेडिसिन विभाग के डॉक्टर करेंगे।

खून में संक्रमण की वजह से होता है गठिया
हड्डी रोग विशेषज्ञ ने बताया कि, गठिया के शुरुआती लक्षण घुटना, पीठ या अंगुलियों के जोड़ों में मामूली दर्द के होते है। इसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। गठिया खून में संक्रमण के चलते होता है। 

मशीनों को कराया गया ठीक
पीएमसीएच में काफी समय से खराब पड़ी मशीनों को ठीक करा दिया गया है। न्यूरो सर्जरी में लगी ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप मशीन से ब्रेन एवं स्पाइन की सर्जरी शुरू की गई है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आईएएस ठाकुर के अनुसार, नई बैट्री बदलकर मशीन को बिना खर्च के ठीक कराया गया है। मशीन से ब्रेन स्ट्रोक, कैंसर, प्लास्टिक सर्जरी, स्पाइन आदि बीमारियों का इलाज किया जाएगा। 


एक करोड़ की मशीन को ठीक कराने में लग रहे थे 5 लाख
अस्पताल अधीक्षक डॉ. आईएएस ठाकुर ने बताया कि, ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप मशीन एक करोड़ रुपए की खरीदी हुई है। इस अत्याधुनिक मशीन को ठीक कराने के लिए उस समय के जिम्मेदार अधिकारी एवं मरम्मत करने वाली टीम 5 लाख रुपए खर्च होने की बात कह रहे थे। ऐसे में पांच लाख रुपए के कारण मशीन को ठीक नहीं करवाया गया था। इससे न्यूरो संबंधी ऑपरेशन हाथ से किए जा रहे थे, जिसमें मरीजों को दर्द के साथ घंटों ओटी में रहना पड़ रहा था।

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