- बिहार में नदियां उफान पर, 12 जिलों के करीब 38 लाख लोग प्रभावित
- राज्य की सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं
- राज्य में 19 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां 25 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं
पटना: बिहार में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य की करीब सभी प्रमुख नदियों और उसकी सहायक नदियों में उफान के कारण 12 जिलों के लोग बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर हैं। राज्य की 38 लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है, वहीं विभिन्न घटनाओं में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच हालांकि सरकार राहत और बचाव कार्य का दावा कर रही है। जल संसाधन विभाग के रिपोर्ट में कहा गया है कि कोसी का जलस्तर में बढ़ने का ट्रेंड है। वीरपुर बैराज के पास गुरुवार को सुबह छह बजे कोसी का जलस्तर 1.83 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे बढकर 1.86 लाख क्यूसेक बना हुआ है। इधर गंडक नदी का जलस्तर स्थिर बना हुआ है। गंडक का जलस्राव बाल्मीकिनगर बराज पर सुबह आठ बजे 1.91 लाख क्यूसेक पहुंच गया है।
सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर
इधर, राज्य की करीब सभी नदियां खतरे के निशान से उपर बह रही हैं। गंगा, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, महानंदा कई क्षेत्रों में खतरे के निशन से उपर बह रही हैं।आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बिहार के 12 जिलों के कुल 102 प्रखंडों की 901 पंचायतें बाढ से प्रभावित हुई हैं। इन क्षेत्रों में करीब 38 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है।
19 राहत शिविर
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इन इलाकों में 19 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां 25 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इसके अलावे बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 989 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिदिन पांच लाख से ज्यादा लोग भोजन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव का कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम अब तक बाढ़ में फंसे तीन लाख से अधिक लोगों को इलाकों से बाहर निकाला है।
11 लोगों की मौत
उन्होंने बताया कि बाढ़ के दौरान इलाकों में विभिन्न घटनाओं में 11 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि जरूरतमंदों को प्लास्टिक शीट भी उपलब्ध कराए गए हैं। इधर, बाढ़ के कारण बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों की परेशानी बढ गई है। लोग अपने घरों को छोडकर पक्के मकानों की छतों पर या अन्य उंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण की स्थिति ज्यादा भयावह बन गई है।