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गुप्तेश्वर पांडे पर भारी पड़ गए परशुराम चतुर्वेदी, 15 साल पहले छोड़ी थी पुलिस की नौकरी 

Updated Oct 08, 2020 | 08:52 IST

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चतुर्वेदी पुलिस महकमे में सिपाही थी। वह 15 साल पहले अपनी नौकरी छोड़कर भाजपा किसान मोर्चा के साथ जुड़ गए। किसान मोर्चा में रहते हुए उन्होंने क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
गुप्तेश्वर पांडे पर भारी पड़ गए परशुराम चतुर्वेदी, 15 साल पहले छोड़ी थी पुलिस की नौकरी।
मुख्य बातें
  • चर्चा थी कि जदयू गुप्तेश्वर पांडे को बक्सर सीट से उम्मीदवार बनाएगी
  • बुधवार को जद-यू के 115 उम्मीदवारों की सूची जारी लेकिन पांडे का नहीं
  • गत 22 सितंबर को पांडे ने राज्य के डीजीपी पद से वीआरएस लिया

पटना : कुछ दिनों पहले लोगों की सेवा करने के लिए डीजीपी पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले गुप्तेश्वर पांडे के हाथ से चुनावी टिकट फिसल गया है। यह दूसरा मौका है जब गुप्तेश्वर पांडे की चुनाव लड़ने की चाहत पूरी नहीं हुई है। चर्चा थी कि पांडे को जनता दल यूनाइटेड बक्सर या शाहपुर सीट से अपना उम्मीदवार बना सकता है क्योंकि दोनों सीटों में से एक सीट जदयू के खाते में जाने की बात कही जा रही थी लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी इन दो पारंपरिक सीटों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुई। भाजपा ने बक्सर सीट से परशुराम चतुर्वेदी को टिकट देकर पांडे की मंशा पर पानी फेर दिया।  टिकट नहीं मिलने पर पांडे ने कहा कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।

सिपाही रह चुचे हैं परशुराम चतुर्वेदी
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चतुर्वेदी पुलिस महकमे में सिपाही थी। वह 15 साल पहले अपनी नौकरी छोड़कर भाजपा किसान मोर्चा के साथ जुड़ गए। किसान मोर्चा में रहते हुए उन्होंने क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। पार्टी और संगठन के प्रति चतुर्वेदी के समर्पण को देखते हुए भाजपा ने उन्हें बक्सर से टिकट दे दिया।  जद-यू ने बुधवार को अपने 115 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की लेकिन इस सूची में पांडे का नाम नहीं होने से उन्हें झटका लगा। टिकट न मिलने के बाद पांडे ने बयान जारी करते हुए कहा कि वह राजनीति में लोगों की सेवा करने आए हैं। जद-यू ने इस बार अपने 11 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है।

पांडे बोले-जनता की सेवा करता रहूंगा
अपने एक फेसबुक पोस्ट में पूर्व डीजीपी ने कहा, 'अपने अनेक शुभचिंतकों के फोन से परेशान हूं, मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं। मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश निराश होने की कोई बात नहीं है। धीरज रखें। मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा। कृपया धीरज रखें और मुझे फोन नहीं करे। बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है।' पांडे ने गत 22 सितंबर को डीजीपी पद से वीआरएस ले लिया। पांडे ने 2009 में वीआरएस लेने की कोशिश की थी लेकिन तकनीकी वजहों से उनका आवेदन स्वीकृत नहीं हुआ और वह दोबारा सेवा में गए।

सुशांत मामले में मिली नई पहचान
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में गुप्तेश्वर पांडे की सक्रियता ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। सुशांत के पिता केके सिंह ने पटना में रिया चक्रवर्ती और उनके परिजनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद डीजीपी पांडे ने पटना पुलिस की एक टीम मुंबई भेजी थी। उन्होंने जांच में महाराष्ट्र सरकार एवं मुंबई पुलिस पर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया। जबकि पांडे के वीआरएस लेने पर शिवसेना और कांग्रेस ने उन पर निशाना साधा। 

10 नवंबर को आएंगे बिहार चुनाव के नतीजे
बिहार विधानसभा चुनाव में जद-यू 122 सीटों और भाजपा 121 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। जेडी-यू ने अपने खाते से सात सीटें जीतन राम माझी की पार्टी हम को भाजपा ने अपने हिस्से से 11 सीटें विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को दी हैं। बिहार में विधानसभा की 243 सीटों के लिए तीन चरणों में 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को मतदान होगा जबकि नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। 

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