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Bihar Assembly Polls 2020: एनडीए-महागठबंधन के सेनापति तैयार, कुछ खास चेहरे उम्मीदों पर फेर न दें पानी

Updated Sep 26, 2020 | 12:13 IST

Bihar Vidhansabha chunav 2020: बिहार चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है। लेकिन एनडीए में एलजेपी और महागठबंधन में आरएलएसपी के सुर अलग हैं। ऐसे में चुनावी समीकरण के दिलचस्प रहने की उम्मीद है।

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तेजस्वी यादव-नीतीश कुमार में सीधी लड़ाई
मुख्य बातें
  • बिहार में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को तीन चरणों में होंगे चुनाव
  • 10 नवंबर को सभी 243 सीटों के आएंगे नतीजे
  • चुनावी रणभेरी बजने के बाद दोनों गठबंधनों के कुछ घटक दलों की स्थिति साफ नहीं

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए रणभेरी बज चुकी है। तीन चरणों में राजनीतिक दलों की परीक्षी होगी और 10 नवंबर को ईवीएम बता देगा कि जनमत किसके पक्ष में है। मतदान से पहले दोनों गठबंधन यानि एनडीए और महागठबंधन का दावा है कि जीत उनकी ही होगी। लेकिन उससे पहले चुनावी समर के लिए जो साफ साफ तस्वीर सामने आनी चाहिए वो अभी फिलहाल दिखती नजर नहीं आ रही है। 

मांझी के पाला बदल से बदली कहानी
चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले महागठबंधन से अलग होकर जीतनराम मांझी ने नीतीश कुमार के साथ जाने का फैसला किया तो जेडीयू से किनारा कसने के बाद श्याम रजक आरजेडी में शामिल हो गए। यह बात अलग है कि श्याम रजक आरजेडी से जुड़े हुए थे और लालू प्रसाद यादव से खास लगाव था। लेकिन अब दो चेहरे चिराग पासवान और रालोसपा के उपेंद्र कुशवाह हैं जिन पर हर किसी की नजर है आगे वो कौन सा रास्ता अपनाएंगे। दरअसल जीतन राम मांझी का महागठबंधन से अलग होना ही बिहार की मौजूदा सियासत को अलग रंग दे दिया

नीतीश और चिराग पासवान के बीच मांझी फैक्टर
पहले बात करते हैं चिराग पासवान की। एलजेपी के चिराग पासवान पिछले एक साल से नीतीश कुमार पर हमला करते रहे हैं। दरअसल जब उन्हें पता चला कि जीतन राम मांझी एनडीए के साथ आ सकते हैं और उस कवायद में नीतीश कुमार रुचि ले रहे हैं तो मामला खराब होता गया। चिराग पासवान हर मौके पर जेडीयू और नीतीश कुमार की आलोचना करते रहे। लेकिन बीजेपी की बुराई करने से बचते भी रहे। एलजेपी ने एक तरह से कहा कि उनका दल 143 सीट पर चुनाव लड़ना चाहता है और यह बयान तब आया जब बीजेपी ने साफ कर दिया कि गठबंधन की कमान नीतीश कुमार के हाथों में होगी। बताया जा रहा है कि बीजेपी भी एलजेपी को 25 से अधिक सीट देने पर राजी नहीं है, ऐसे में यह देखना होगा कि चिराग पासवान क्या एनडीए से अलग होकर अलग राह पकड़ेंगे या एनडीए की नाव पर ही सवार रहेंगे। 



महागठबंधन से उपेंद्र कुशवाहा नाराज
एनडीए के बाद महागठबंधन की तस्वीर को समझना जरूरी है। तेजस्वी यादव बार बार कह रहे हैं कि एनडीए से जनता उब चुकी है और बदलाव करने जा रही है। लेकिन बड़ा सवाल रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा के बारे में है। क्या कुशवाहा, महागठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे आ अलग राह पकड़ेंगे। जानकारों का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा खुद को असहज महसूस कर रहे हैं और वो कुछ चौंकाने वाला फैसला कर सकते हैं लेकिन उन्हें उचित कारण की तलाश है। 

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