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Caste Census: अगर सभी दल सहमत हुए तो जाति आधारित जनगणना की घोषणा कर देंगे- नीतीश कुमार

Updated Dec 07, 2021 | 08:48 IST

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वो जाति आधारित जनगणना की घोषणा कर देंगे। लेकिन वो चाहते हैं कि सभी दल इस विषय पर एकमत हों।

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अगर सभी दल सहमत हुए तो जाति आधारित जनगणना की घोषणा कर देंगे- नीतीश कुमार
मुख्य बातें
  • बिहार में जातिगत जनगणना पर सियासत
  • लालू प्रसाद यादव ने बीजेपी और नरेंद्र मोदी पर साधा है निशाना
  • सभी दलों की बनी एक राय तो जातिगत आधारित जनगणना की घोषणा कर देंगे

बिहार में जाति आधारित जनगणना सभी दलों के लिए मुद्दा बना हुआ है। सीएम नीतीश कुमार का कहना है कि वो इस विषय पर गंभीर हैं और एक बार फिर सर्वदलीय बैठक बुलाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि इस मुद्दे पर सभी दलों में एकराय हो। सभी दल इस मुद्दे पर एक होंगे तो राज्य सरकार जातिगत आधारित जनगणना की घोषणा कर देगी। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि समाज की बेहतरी के लिए, योजनाओं के सही क्रियान्वयन के लिए, सरकार में सभी वर्गों की भागीदारी के लिए जातिगत जनगणना की जरूरत है। 

लालू प्रसाद यादव ने हाल ही में साधा था निशाना
हाल ही में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इस विषय पर बीजेपी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि हकीकत यह है कि बीजेपी सिर्फ बातों के जरिए समाज के पिछड़े लोगों को न्याय देने की बात करती है। हकीकत में बीजेपी की मंशा ऐसी नहीं है। बीजेपी, सामंतवादी सोच में विश्वास करती है यही वजह है कि वो इस राह में रोड़े अटका रही है। इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा। लालू प्रसाद यादव ने कहा कि अगर नीतीश कुमार जातिगत आरक्षण पर इतने गंभीर हैं तो बीजेपी पर दबाव क्यों नहीं डालते हैं।

क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि बिहार में जातिगत जनगणना की मांग पुरानी रही है। यह सिर्फ संवैधानिक या कानूनी मुद्दा नहीं है बल्कि इसका असर समाज और राजनीति दोनों पर पड़ेगा। जैसा की हम सब जानते हैं कि जातिगत जनगणना हुई तो सभी जातियों के ताजा आंकड़े सामने आएंगे और एक बार फिर आरक्षण का मुद्दा जोर पकड़ सकता है। इसके साथ ही जो इस विषय पर निर्णायक पहल करेगा, राजनीतिक तौर पर उसके समाज में स्वीकार्यता बढ़ेगी। अगर बात बिहार की करें तो बीजेपी के सामने अपने कोर वोट बैंक को साधने की दिक्कत होगी तो साथ साथ ही अगर वो इस विषय पर सीधे तौर पर ना कहती है तो उसके खुद के नारे सबका साथ सबका विकास खोखला नजर आने लगेगा लिहाजा बीजेपी की तरफ से सधी प्रतिक्रिया आती है।

अगर बात लालू प्रसाद की करें तो उन्हें लगता है कि यह विषय सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि भावनात्मक तौर पर लोगों से जुड़ने वाला है। अगर बिहार में सामाजिक न्याय को किसी ने आगे बढ़ाया तो उसके नायक वो खुद थे। लिहाज इतने बड़े मुद्दे को किस तरह से जनता के सामने पेश किया जाए कि वो यह बता सकें भले ही नीतीश कुमार सरकार में हों पिछड़ा समाज के हित के बारे में उनसे अधिक कोई और नहीं सोचता है।

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