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सुशांत मामले में पटना पुलिस ने FIR दर्ज कर कुछ गैरकानूनी नहीं किया:सुप्रीम कोर्ट

Updated Aug 19, 2020 | 23:25 IST

SC on Sushant Case FIR:अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा कि सुशांत मामले में पटना पुलिस ने FIR दर्ज कर कुछ गैरकानूनी नहीं किया है।

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न्यायालय ने पटना दर्ज प्राथमिकी मुंबई स्थानांतरित करने के लिये रिया चक्रवर्ती की याचिका पर यह फैसला सुनाया

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके पटना पुलिस ने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया क्योंकि इस अभिनेता के पिता ने अपनी शिकायत में संज्ञेय अपराध के आरोप लगाये थे।न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की एकल पीठ ने शीर्ष अदालत के पहले के फैसलों का हवाला देते हुये कहा कि अगर पुलिस को संज्ञेय अपराध के बारे में जानकारी मिलती है तो प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य है।

न्यायमूर्ति रॉय ने अपने 35 पेज के फैसले में कहा, 'इस न्यायालय द्वारा प्रतिपादित कानून को ध्यान में रखते हुये यह व्यवस्था देनी होगी कि शिकायत दर्ज करके पटना पुलिस ने कोई गैरकानूनी काम नहीं किया। शिकायत में लगाये गये आरोपों की गंभीरता को देखते हुये बिहार पुलिस द्वारा अपने अधिकार का इस्तेमाल करना सही लगता है।' इस शिकायत में राजपूत के पिता ने धन की हेराफेरी और विश्वासघात के आरोप भी लगाये थे।

कोर्ट ने रिया चक्रवर्ती की याचिका पर यह फैसला सुनाया

न्यायालय ने पटना में दर्ज प्राथमिकी मुंबई स्थानांतरित करने के लिये रिया चक्रवर्ती की याचिका पर यह फैसला सुनाया। राजपूत के पिता द्वारा 25 जुलाई को दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में रिया और उसके परिवार के सदस्यों सहित छह व्यक्तियों पर सुशांत को आत्महत्या के लिये बाध्य करने का भी आरोप लगाया गया था। न्यायालय ने कहा कि चक्रवर्ती की याचिका लंबित होने के दौरान यह मामला बिहार सरकार की सहमति से सीबीआई को हस्तांतरित कर दिया गया था।

न्यायालय ने कहा कि जांच के स्तर पर बिहार पुलिस को यह प्राथमिकी मुंबई पुलिस को हस्तांतरित करने की जरूरत नहीं थी। 34 साल के सुशांत राजपूत 14 जून को मुंबई के उपनगर बांद्रा में अपने अपार्टमेन्ट की छत से लटके मिले थे। इसके बाद से ही मुंबई पुलिस विभिन्न पहलुओं से इस मामले की जांच कर रही थी।

न्यायालय ने फैसले में कहा 'शिकायतकर्ता के अनुसार, पटना से अपने पुत्र से टेलीफोन पर बात करने के उनके प्रयासों को आरोपियों ने विफल कर दिया था और पिता-पुत्र की बातचीत के जरिये बेटे की जिंदगी बचाने की संभावनायें गंवा दी गयीं जिसके परिणामस्वरूप शिकायतकर्ता ने अपने इकलौते पुत्र को खो दिया जिससे अपने पिता की चिता को अग्नि देने की अपेक्षा थी।'

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