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शानदार आगाज को बरकरार नहीं रख सका महागठबंधन, कड़ी टक्कर के बावजूद तेजस्वी के हाथ से कुर्सी फिसल गई

Updated Nov 11, 2020 | 09:41 IST

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में महागठबंधन वे जिस शानदार ढंग से आगाज किया उसका अंजाम उतना शानदार नहीं रहा। सत्ता के करीब आकर तेजस्वी के हाथ से कुर्सी फिसल गई।

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महागठबंधन की अगुवाई कर रहे थे तेजस्वी यादव
मुख्य बातें
  • महागठबंधन के खाते में आईं 112 सीटें, आरजेडी 75 सीट के साथ बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी
  • कांग्रेस के खाते में सिर्फ 19 सीटें आईं और हार की बनी बड़ी वजह
  • तेजस्वी के 10 लाख नौकरियों का दांव भोजपुर रीजन में ज्यादा चला

पटना। बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों के नतीजों का ऐलान हो चुकी है। 112 के जादुई आंकड़े को पार कर एनडीए ने अपनी सत्ता बरकरार रखी और 112 सीटों के साथ महागठबंधन को हार का स्वाद चखना पड़ा है। लेकिन महागठबंधन की हार के बावजूद आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है और तेजस्वी की झोली में 75 सीटें आई हैं। आरजेडी की बड़ी पार्टनर कांग्रेस के खाते में 19 सीटें गई हैं। यह तो वो आंकड़े हैं जिनमें सिर्फ 10 सीट का इजाफा होता तो बिहार की गद्दी पर तेजस्वी यादव काबिज हो जाते। लेकिन 10 सीटों की कमी ने उनका खेल खराब कर दिया और सत्ता की कुर्सी से दूर हो गए। अब हम आप को बताएंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि तेजस्वी का 10 लाख नौकरियों वाला दांव काम नहीं कर सका। 

तीसरे चरण में ओवैसी की पार्टी ने बिगाड़ा खेल
बिहार में तीन चरणों में चुनाव हुआ जिसमें तीसरे चरण का चुनाव दोनों गठबंधनों के लिए टर्निग प्वाइंट सिद्ध हुआ। तीसरे चरण के चुनाव में मतदान के प्रतिशत में महिलाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा रही। इसके अतिरिक्त सीमांचल में भी इसी फेज में मतदान हुआ और उसका असर महागठबंधन पर पड़ा। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने महागठबंधन की जीत पर ग्रहण लगा दिया और नीतीश के लिए महिलाओं का समर्थन काम कर गया। 

10 लाख नौकरियों का दांव कुछ हद तक चला
अब बात करते हैं कि 10 लाख नौकरियों के वादे का क्या हुआ। अगर इस सवाल का जवाब देखें तो एक बात स्पष्ट है जो महागठबंधन की सीटों में दिखाई देती है। अगर आरजेडी के आंकड़ों को देखें तो 10 लाख की नौकरियों का थोड़ा बहुत असर दिखाई दे रहा है जिसकी वजह से वो 75 की टैली तक पहुंचने में कामयाब रहे। दूसरे चरण के चुनावी नतीजों को देखें तो भोजपुर के इलाके में 10 लाख की नौकरियों का दांव काम करता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन पहले और तीसरे चरण के चुनाव में यह दांव करिश्मा नहीं दिखा सका।

कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा
अब महागठबंधन में कांग्रेस के प्रदर्शन की बात करते हैं। अगर कांग्रेस के प्रदर्शन को देखा जाए तो 2015 के स्टेट्स को बनाये रखने में वो नाकाम रहे हैं। 70 सीटों पर इलेक्शन लड़ने के बावजूद उन्हें सिर्फ 19 सीटें हासिल हुई और यह आंकड़ा तेजस्वी यादव के विजय रथ को रोकने में ब्रेक बन गया। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस अपने बेहतर प्रदर्शन को भी दोहरा नहीं सकी और इसका असर महागठबंधन की ओवरऑल टैली में नजर आ रहा है। 

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