- कांके के मदनपुर में होगा सेफ्टी ऑफ प्लेस के भवन का निर्माण
- 4.5 एकड़ में भवन बनाने की तैयारी
- अपराध की दुनिया छोड़ बाल कैदियों को रोजगार के काबिल बनाया जाएगा
Ranchi District Administration: बाल कैदियों को बाल सुधार गृह में रखने का उद्देश्य होता है कि उन्हें अपने आने वाले भविष्य में सुधार करने का मौका मिल सके। रांची जिला प्रशासन की पहल पर रांची के डूमरदगा स्थित बाल सुधार गृह में बंद 16 से 18 वर्ष के बाल कैदियों को रोजगार पाने योग्य बनाया जाएगा। रांची जिला प्रशासन ने सरकार के फैसले पर यह पहल की है।
बाल कैदियों के लिए सेफ्टी ऑफ प्लेस (सुरक्षित स्थान) बनाने का भी निर्णय लिया गया है। इसको लेकर कांके के मदनपुर में 4.5 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है। वहां जल्द ही भवन बनाने का काम शुरू हो जाएगा। बाल सुधार गृह के बाल कैदियों को रोजगार पाने के लिए काबिल बनाया जाएगा। बाल कैदी अपनी बीती हुई जिंदगी को भुला कर एक नई शुरुआत कर सकेंगे।
झारखंड के पहले सेफ्टी ऑफ प्लेस का होगा निर्माण
जानकारी के मुताबिक झारखंड के 24 जिलों में अब तक किसी भी जिले में 16 से 18 वर्ष तक के बाल कैदियों के लिए सेफ्टी ऑफ प्लेस का निर्माण नहीं किया गया है। राजधानी रांची में इसके बनने के बाद यह राज्य का पहला सेफ्टी ऑफ प्लेस होगा। जानकारी के मुताबिक डूमरदगा स्थित बाल सुधार गृह में 120 बाल कैदियों के रखने की क्षमता है, जबकि वर्तमान में यहां 160 बाल कैदी हैं। इस वजह से यहां अक्सर मारपीट और झड़प जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
बाल कैदियों को दी जाएगी टेक्निकल शिक्षा
बाल कैदियों के लिए सेफ्टी ऑफ प्लेस बनाने का मुख्य मकसद यह है कि डूमरदगा स्थित बाल सुधार गृह में बंद 16 से 18 वर्ष के उम्र वाले बाल कैदी जब अपनी सजा काट कर बाहर निकलें, तो उन्हें रोजगार पाने योग्य बनाया जा सके। वे अपराध की दुनिया छोड़ कर रोजी-रोजगार से जुड़ सकें और अपना जीवन यापन कर सकें। इन्हें टेक्निकल शिक्षा भी दी जाएगी ताकि उन्हें बाहर आने के बाद नौकरी पाने में दिक्कत नहीं हो।