न्यूयार्क : कोरोना वायरस के कहर से आज पूरी दुनिया जूझ रही है। विशेषज्ञ लगातार इसके सटीक कारणों का पता लगाने में जुटे हैं तो इसके उपचार के लिए प्रभावी दवा और वैक्सीन की दिशा में भी लगातार काम हो रहे हैं। लेकिन इस बीच कोरोना के उपचार के लिए वैक्सीन व दवा विकसित करने के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है। इस दिशा में प्रयासरत एक अमेरिकी कंपनी की कोशिशें फेल हो गई हैं।
237 मरीजों पर हुआ ट्रायल
कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम में प्रभावी मानी जा रही एंटी-वायरल ड्रग रेमडेसिवयर का रैंडम क्लिनिकल ट्रायल किया जा रहा था, जो फेल हो गया है। इसके बाद इसे रोक दिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुल 237 मरीजों को ट्रायल में शामिल किया गया, जिनमें से 158 को रेमडेसिवयर ड्रग दी गई, जबकि अन्य 79 को प्लेसीबो नाम की दवा दी गई। एक महीने बाद जो नतीजे सामने आए, उसमें 13.9 प्रतिशत मौतें ऐसे मरीजों की हुईं, जिन्हें रेमडेसिवयर ड्रग दी गई थी, जबकि जिन मरीजों को प्लेसीबो दिया गया था, उनमें मौतों का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम 12.8 प्रतिशत रहा।
गलती से सामने आई रिपोर्ट
मरीजों पर इस दवा के नकारात्मक असर को देखते हुए इस क्लिनिकल ट्रायल को तत्काल रोक दिया गया गया है, जो पिछले करीब एक महीने से हो रहा था। कोरोना के प्रभावी उपचार के लिए अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी गिलिएड साइंस इसमें जुटी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इसका खुलासा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वेबसाइट पर गुरुवार को इस बारे में संक्षिप्त जानकारी सामने आने के बाद हुआ। हालांकि बाद में इसे यह कहते हुए हटा लिया गया कि ये गलती से वेबसाइट पर अपलोड हो गया। डब्ल्यूएचओ ने फरवरी में चीन में इस दवा के ट्रायल को मंजूरी दी थी।
'खत्म नहीं हुईं संभावनाएं'
अमेरिकी कंपनी ने हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोस्ट को लेकर विरोध जताया है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि कम नामांकन की वजह से ये पहले ही बहुत सार्थक नहीं रह गए थे और इसे रोक दिया गया था। हालांकि इसका मलब यह नहीं है कि इस दवा को लेकर संभावनाएं खत्म हो गई हैं। आने वाले समय में इसे लेकर और ट्रायल किए जाएंगे और उसके बाद ही सही तस्वीर सामने आ सकेगी। कंपनी ने यह दावा भी किया है कि जिन मरीजों का उपचार शुरुआती चरण में हुआ और उन्हें रेमडेसिवयर दवा दी गई, उसमें इसका संभावित लाभ नजर आता है। इसलिए इसे लेकर संभावनाओं के द्वार बंद नहीं हुए हैं।