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Adhik Maas Shivratri : तीन तरह के पापों से मुक्ति द‍िलाता है अधिकमास शिवरात्रि व्रत, जानें व्रत व‍िध‍ि और कथा

Updated Oct 15, 2020 | 06:05 IST

Adhikmaas Shivratri : अधिकमास में पड़ने वाली शिवरात्रि विशेष फलदायी होती है, इस मास में व्रत से शिवजी के साथ भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत तीन तरह के पापों से मनुष्य को मुक्त बनाता है।

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Adhikmaas Shivratri, अधिकमास शिवरात्रि
मुख्य बातें
  • अधिकमास में मासिक शिवरात्रि का पुण्य दोगुना मिलता है
  • शिवजी के शिवलिंग रूप का इस दिन पूजना का विशेष महत्व होता है
  • घर में शिव परिवार की पूजा के बाद मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषे करना चाहिए

अधिकमास की शिवरात्रि गुरुवार 15 अक्टूबर को होगी। इस मासिक शिवरात्रि का महत्व इसलिए भी ज्यादा होता है, क्योंकि चातुर्मास मे शिवजी ही धरती पर मनुष्यों की रक्षा करते हैं। इस दौरान शिवजी के मनुष्य के बेहद नजदीक होते हैं और अपने भक्तों की पूजा से वह सीधे लाभांवित होते हैं। वैसे भी शिवजी मन के बहुत भोले होते हैं और उन्हें प्रसन्न करना आसान होता है। ऐसे में यदि अधिकमास की शिवरात्रि पर मनुष्य पूजा-पाठ और व्रत रखते हैं तो शिवजी की विशेष कृपा से उनके तीन तरह के पास जरूर नष्ट हो जाते हैं। इस दिन शिव जी के साथ उनके पूरे परिवार की पूजा से समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी होती है।

मासिक शिवरात्रि हर महीने में आती है, लेकिन अधिकमास में इस व्रत को करने का फल दोगुना मिलता है। प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि होती है।

मासिक शिवरात्रि का महत्व

मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अधिकमास की शिवरात्रि का व्रत और पूजा करने से मनुष्य को क्रोध-ईर्ष्या, लोभ और अभिमान जैसे पापों से मुक्ति मिलती है। यदि मनुष्य को जीवन में सभी सांसारिक सुखों की आस हो तो उसे मासिक शिवरात्रि का व्रत जरूर करना चाहिए। भगवान शिव की कृपा से सारे बिगड़े काम बन जाते है और मनुष्य को सुख-शांति, ऐश्वर्य और संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। साथ ही हर तरह के रोग और संकट भी दूर होते हैं।

जानें, शिवरात्रि पूजा विधि

अधिकमास मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह स्नान के बाद घर में शिव परिवार की पूजा करें और मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और दीपदान करें। पूजा की शुरुआत गणपति अराधना से करें और इसके बाद गंगाजल छिड़कर शिव परिवार के समक्ष व्रत का संकल्प लें। शिव परिवार की विधिवत पूजा कर आरती करें और भोग लगाएं। शिवरात्रि के दिन व्रत में सेंधानमक भी नहीं खाना चाहिए। मीठा फलहार करें।

मासिक शिवरात्रि व्रत कथा

पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित है कि भगवान शिव महाशिवरात्रि की मध्य रात में शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे और इसके बाद सबसे पहले ब्रह्माजी और भगवान विष्णु ने ही उनकी पूजा की थी। उस दिन से लेकर आज तक हर मासिक शिवरात्रि को उनके शिवलिंग रूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार अपने जीवन के उद्धार के लिए माता लक्ष्मीं, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती तथा रति जैसी बहुत-सी देवियों और रानियों ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था। इसलिए जो भी मनुष्य शिवरात्रि की पूजा और व्रत करता है, उसे संसार के सारे ही सुख भोले बाबा प्रदान करते हैं।

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