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Aja Ekadashi 2022 Date: जानें कब है अजा एकादशी 2022 का व्रत, क्या है विष्णु जी के इस व्रत की सही डेट

Updated Aug 22, 2022 | 10:38 IST

Aja Ekadashi 2022 Date in India: शास्त्र के अनुसार जो भक्त अजा एकादशी के दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता हैं, उन्हें अश्वमेध यज्ञ समान पुण्य की प्राप्ति होती है। जानें अजा एकादशी 2022 की डेट, कब रखें ये व्रत।

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Aja Ekadashi 2022 Date in India
मुख्य बातें
  • भगवान विष्णु को समर्पित है अजा एकादशी का व्रत
  • इस व्रत को करने से अश्वमेध यज्ञ समान पुण्य की होती है प्राप्ति
  • जानें अजा एकादशी व्रत की तारीख

Aja Ekadashi 2022 Date in India: हिंदू धर्म में अजा एकादशी व्रत का एक खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं।ऐसा कहा जाता है, कि इस दिन विष्णु बगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती हैं। धार्मिक मान्याताओं के अनुसार जीवन में किए गए पापों और पापों से इतना ही नहीं यह व्रत करने से जीवन में किए गए पापों से मुक्ति भी मिलती है इतना ही नहीं इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति भी इस व्रत अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति करवाता है। अजा एकादशी बेहद कठिन व्रत होता है।इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा सदैव बनी रहती हैं। यदि आप ही भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए अजा एकादशी का व्रत करने की सोच रहे हैं, तो यहां आप इसकी तारीख जान सकते है।

Aja Ekadashi 2022 Date and Time in India

भाद्रपद मास में अजा एकादशी का व्रत 23 अगस्त को रखा जाएगा और 24 अगस्त को व्रत का पारण होगा।

  • अजा एकादशी तिथि 2022 प्रारंभ : 22 अगस्त को सुबह 03:35 बजे
  • अजा एकादशी तिथि 2022 समापन: 23 अगस्त को सुबह 06:06 बजे
  • अजा एकादशी 2022 पारण समय : 24 अगस्त को सुबह 05:55 बजे से सुबह 08:30 बजे के बीच


अजा एकादशी का महत्व

एकादशी का व्रत बहुत ही फलदाई माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है, कि इस व्रत को करने से प्रभु अपने भक्तों की सभी पीड़ाओं को जल्द हर लेते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी का व्रत रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है, कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ समान पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति भी मिलती है।

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