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Akshaya Tritiya 2022 Arti & Puja Mantra: अक्षय तृतीया पर करें ये आरती, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा

Updated May 03, 2022 | 06:20 IST

Akshaya Tritiya 2022 Arti Lyrics & Puja Mantra in Hindi: मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अक्षय तृतीया का व्रत रखने की सोच रहे हैं, तो पूजा के बाद इस आरती को जरूर पढ़ें। इसे पढ़ने से मां लक्ष्मी की असीम कृपा आपके ऊपर सदैव बनी रहेगीं।

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Akshaya Tritiya 2022 Arti Lyrics & Puja Mantra in Hindi: अक्षय तृतीया का दिन हिंदुओं के लिए बहुत खास होता है। यह हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह कल यानी 3 मई को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता हैं, कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करने आती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन यदि व्यक्ति मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की भक्ति पूर्वक पूजा-अर्चना करें, तो उसके ऊपर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रह सकती हैं। कुछ लोग अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। यदि आप भी अक्षय तृतीया का व्रत कर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने की सोच रहे हैं, तो पूजा के बाद उनकी यह पवित्र आरती जरूर पढ़ें। इस आरती को पढ़ने के बाद आपके ऊपर मां लक्ष्मी की असीम कृपा बनी रहेगी। यहां आप अक्षय तृतीया की स्पेशल आरती हिन्दी में देखकर शुद्ध-शुद्ध पढ़ सकते हैं।

Akshaya Tritiya 2022: अक्षय तृतीया 2022 पर राशिफल

Akshaya Tritiya 2022 aarti lyrics in hindi : अक्षय तृतीया की स्पेशल आरती

 ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
   तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता॥
                    ॐ जय..

  उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
  सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
                   ॐ जय

     तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता।
   जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता॥
                    ॐ जय..


     तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
    कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता॥
                       ॐ जय..

    जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता।
     सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता॥
                       ॐ जय..

     तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।
     खान-पान का वैभव सब तुमसे आता॥
                       ॐ जय..


    शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
     रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता॥
                       ॐ जय..

    महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता।
     उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता॥
                         ॐ जय..
 

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