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Anant Chaturdashi 2018: अनंत चतुर्दशी पर इस शुभ मुहूर्त में करें विष्‍णु की पूजा, कष्टों से मिलेगी मुक्‍ति

Updated Sep 22, 2018 | 22:20 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Anant Chaturdashi 2018: भाद्र मास की शुक्ल चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहते हैं। भगवान श्री गणेश को 10 दिन घर में स्थापित करने के बाद आज ही के दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन होता है। जानें, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Anant Chaturdashi 2018

Anant Chaturdashi 2018: भाद्र मास की शुक्ल चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) कहते हैं। ईश्वर अनंत है जिसका कोई अंत नहीं है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अनंत विष्णु रूप में की जाती है। रेशम के धागे को 14 गांठें लगाकर लाल कुमकुम से रंगकर पूरे विधि से पूजन कर कलाई पर बांधा जाता है। 

यही धागा अनंत कहलाता है। इसे विष्णु का स्वरूप माना है। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 23 सितंबर यानि आज है। इस दिन गणेश विसर्जन भी होता है। ज्‍योतिष के जानकार सुजीत जी महाराज से जानें अनंत चतुर्दशी का महत्व, शुभ मुहूर्त, तिथि एवं पूजा विधि। 

अनंत चतुर्दशी 2018 शुभ मुहूर्त:
दिनांक 23 सितम्बर 2018 को प्रातः 5 बजकर 42 मिनट से अनंत चतुर्दशी प्रारम्भ हो कर 24 सितंबर 7 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। 
प्रातः 5.43 के बाद ही शुभ पूजा मुहूर्त आरंभ हो जाएगा।

अनंत चतुर्दशी का महत्व
यह व्रत कष्टों को समाप्त करने वाला है। भगवान श्री गणेश को 10 दिन घर में स्थापित करने के बाद आज ही के दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन होता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विजर्सन (Ganpati Visarjan) की परंपरा सबसे ज्‍यादा प्रचलित है। जैन धर्म के लोग दशलक्षण पर्व की समाप्ति कर शोभयात्राएँ निकालते हैं और अपने भगवान का जलाभिषेक करते हैं। 

अनंत चतुर्दशी पूजा विधि
इस महान पर्व पर श्री हरि जी की पूजा की जाती है और साथ में यमुना और शेषनाग की पूजा भी होती है। इस दिन कलश रखते हैं जो कि यमुना का प्रतीक है। शेषनाग के रूप में दूर्वा रखी जाती है। कलश की स्थापना करते हैं। कुश से निर्मित अनन्त की स्थापना करके उसे धरती के संतुलन भगवान शेषनाग माना जाता है। रेशम के अनंत धागे को रक्षा सूत्र के रूप में कलाई में धारण करते हैं। इस दिन श्री गणेश जी की पूजा का बहुत महत्व है। श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उपवास रखते हैं और घर में स्थापित श्री गणेश प्रतिमा का विसर्जन भी करते हैं।

इस महापर्व के सुन्दर अवसर पर दान का बहुत महत्व है। मंदिर में फलों से भरी टोकरी श्री हरि को दान करें। गरीबों में भोजन का वितरण करें। अनाथालय में अन्न और वस्त्र का दान करें।

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