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Annapurna Jayanti 2020 Puja : अन्नपूर्णा जयंती पर करें ये चमत्कारिक स्त्रोत का पाठ, तो दूर हो जाएगी हर समस्या

Updated Dec 30, 2020 | 15:39 IST

Goddess Annapurna Stotra: अन्नपूर्णा जयंती पर यदि आप देवी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको कुछ खास विधि से उनकी आराधना करनी होगी। इस दिन देवी के स्त्रोत के पाठ आपके समस्त दुखों का अंत कर देगा।

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Goddess Annapurna Stotra, देवी अन्नपूर्णा स्त्रोत
मुख्य बातें
  • देवी अन्नपूर्णा मां पार्वती का ही स्वरूप मानी गई हैं
  • देवी की पूजा से धन-धान्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है
  • समस्त दुखों के नाश के लिए इस दिन अन्नपूर्णा स्त्रोत का पाठ करें

मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है और इस बार 30 दिसंबर को यह पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन ही देवी पार्वती ने देवी अन्नपूर्णा का रूप धारण किया था और धरती के प्राणियों को अन्न और पानी प्रदान किया था। पानी और अन्न की कमी से धरती पर हाहाकार मच गया था। देवी की दया से प्राणियों के भोजन और पानी की प्राप्ति हुई थी। इसलिए इस दिन देवी अन्नपूर्णा की विशेष पूजा कर दान का विधान होता है। मान्यता है कि इस दिन यदि मनुष्य देवी अन्नपूर्णा की विधिवत पूजा करते तो उसके जीवन के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि के दिन देवी की पूजा के साथ रसोई घर की पूजा भी होती है और इस दिन जो भी भोजन पकाया जाता है उसे प्रसाद स्वरूप अधिक से अधिक लोगों को खिलाना चाहिए। इस दिन सुबह और शाम देवी अन्नपूर्णा और रसोईघर में दीप जला चाहिए। साथ ही इस दिन भगवान शंकर और गणपति जी की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को दान देना बहुत पुण्यकारी माना जाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार अन्न की कमी को देखते हुए भगवान शिव ने प्राणियों की रक्षा के लिए भिक्षुक का रूप धारण किया था और तब देवी पार्वती अन्न की देवी बन कर धरती पर प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में विधि-विधान से मनाया जाता है। इस दिन पूजा-अर्चना कर अन्न की देवी के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है। साथ ही व्रत का पालन कर इस दिन अन्न दान किया जाता है।

अन्नपूर्णा जयन्ती शुभ मुहूर्त (Annapurna Jayanti Subh Muhurat)

अन्नपूर्णा जयन्ती बुधवार, दिसम्बर 30, 2020 को मनाई जाएगी।

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - दिसम्बर 29, 2020 को 07:54 बजे।

पूर्णिमा तिथि समाप्त - दिसम्बर 30, 2020 को 08:57 बजे

इस अन्नपूर्णा स्त्रोत का करें पाठ

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौंदर्यरत्नाकरी।

निर्धूताखिल-घोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी।

प्रालेयाचल-वंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी।

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपुर्णेश्वरी।।

नानारत्न-विचित्र-भूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी।

मुक्ताहार-विलम्बमान विलसद्वक्षोज-कुम्भान्तरी।

काश्मीराऽगुरुवासिता रुचिकरी काशीपुराधीश्वरी।

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी।।

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्माऽर्थनिष्ठाकरी।

चन्द्रार्कानल-भासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी।

सर्वैश्वर्य-समस्त वांछितकरी काशीपुराधीश्वरी।

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी।।

कैलासाचल-कन्दरालयकरी गौरी उमा शंकरी।

कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओंकारबीजाक्षरी।

मोक्षद्वार-कपाट-पाटनकरी काशीपुराधीश्वरी।

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी।।

दृश्याऽदृश्य-प्रभूतवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी।

लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपांकुरी।

श्री विश्वेशमन प्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी।

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी।।

उर्वी सर्वजनेश्वरी भगवती माताऽन्नपूर्णेश्वरी।

वेणीनील-समान-कुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी।

सर्वानन्दकरी दृशां शुभकरी काशीपुराधीश्वरी।

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी।।

आदिक्षान्त-समस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी।

काश्मीरा त्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्यांकुरा शर्वरी।

कामाकांक्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी।

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी।।

देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुंदरी।

वामस्वादु पयोधर-प्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी।

भक्ताऽभीष्टकरी दशाशुभकरी काशीपुराधीश्वरी।

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी।।

चर्न्द्रार्कानल कोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी।

चन्द्रार्काग्नि समान-कुन्तलहरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी।

माला पुस्तक-पाश-सांगकुशधरी काशीपुराधीश्वरी।

शिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी।।

क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी।

साक्षान्मोक्षरी सदा शिवंकरी विश्वेश्वरी श्रीधरी।

दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी।

भिक्षां देहि कृपावलंबनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी।।

अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे

ज्ञान वैराग्य-सिद्ध्‌यर्थं भिक्षां देहिं च पार्वति।।

माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः

बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्‌।।

अन्नपूर्णा जयंती पर व्रत और पूजा करने से मनुष्य के घर अन्न-धन की कभी कमी नहीं होती और सुख-वैभव के साथ ही ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

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