- गुरुवार 26 मई को रखा जाएगा अपरा एकादशी व्रत
- विजय प्राप्ति और पापों से मुक्ति के लिए रखा जाता है अपरा एकादशी व्रत
- ज्येष्ठ माह के कृष्ठ पक्ष की एकादशी तिथि को होती है अपरा एकादशी
Apara Ekadashi Vrat 2022 Date Time Puja Vidhi: हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। सभी एकादशी में अपरा एकादशी का खास महत्व होता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है। अपरा एकादशी पर भी भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने का महत्व है। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस बार अपरा एकादशी का व्रत गुरुवार, 26 मई 2022 को रखा जाएगा। जानते हैं अपरा एकादशी व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में।
ये भी पढ़ें: अपरा एकादशी 2022 में कब है, इसी व्रत को दिया गया है Achala Ekadashi का भी नाम
अपरा एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि भगवान कृष्ण के कहने पर अपरा एकादशी का व्रत पांडवों ने रखा था। इसके बाद महाभारत युद्ध में पांडवों को कौरवों से विजय की प्राप्ति हुई। इसलिए इस व्रत को करने से विजय की प्राप्ति होती है और हर तरह की पापों का नाश होता है।
अपरा एकदाशी मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ- बुधवार, 25 मई सुबह 10 बजकर 32 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त- गुरुवार, 26 मई सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक
हिंदू धर्म में उदयातिथि का महत्व होता है। इसलिए 26 मई को अपरा एकादशी व्रत रखा जाएगा और शुक्रवार 27 मई सुबह 05 बजकर मिनट से सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक व्रत का पारण किया जाएगा। इस बार गुरुवार के दिन अपरा एकादशी पड़ रही है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है। ऐसे में इस बार अपरा एकादशी की पूजा व व्रत रखना कई मायनों में खास होगा।
ये भी पढ़ें: Jyeshtha Maas 2022 Vrat Tyohar: ज्येष्ठ माह 2022 के व्रत त्योहार
एकादशी पूजा विधि
सभी एकादशी व्रतों के नियम दशमी तिथि यानी एक दिन पहले से ही शुरू हो जाते हैं। दशमी तिथि के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और सूर्यास्त के बाद भोजन करने पर मनाही होती है। अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूर्व दिशा की ओर एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद कलश स्थापना करें और धूप दीप जलाएं। पूजा में भगवान को फल, फूल, पान, सुपारी, नारियल आदि अर्पित करें। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान विष्णु को पूजा में तुलसी का पत्ता जरूर चढ़ाएं। तुलसी पत्ते की बिना भगवान विष्णु की कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। फिर अपरा एकादशी की व्रत कथा सुने या पढ़ें और आरती करें। पूरे दिन उपवास रहे आप चाहे तो फलाहार भी कर सकते हैं। लेकिन एकादशी के दिन भूलकर भी अन्न ग्रहण नहीं करें। सुबह की पूजा के बाद शाम को भगवान विष्णु की पूजा करें और धूप दीप जलाकर आरती करें। अपरा एकादशी पर विष्णु विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना उत्तम होता है। इससे भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)