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Sankashti Chaturthi 2022: आषाढ़ माह की पहली संकष्टी चतुर्थी कब? जानें गणेशजी की पूजा विधि और चंद्रोदय का समय

Updated Jun 13, 2022 | 00:09 IST

Ganesha Sankashti Chaturthi 2022: इस बार आषाढ़ मास संकष्टी 17 जून को पड़ रही है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। इस दिन चंद्रोदय के बाद चंद देव को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत सफल माना जाता है।

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संकष्टी चतुर्थी
मुख्य बातें
  • संकष्टी चतुर्थी को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है
  • संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का होता है खास महत्व
  • संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश को जरूर चढ़ाएं दुर्वा

Ashadh Month Ganesha Sankashti Chaturthi 2022: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो बार चतुर्थी तिथि पड़ती है। दोनों ही चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश की पूजा के लिए समर्पित होती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी या कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार कृष्णपिङ्गल  चतुर्थी शुक्रवार, 17 जून 2022 को पड़ रही है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ ही चंद्रमा दर्शन पूजा का विशेष महत्व होता है। जानते हैं संकष्टी पूजा विधि, मुहूर्त और चंद्रोदय के समय के बारे में..

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कृष्णपिङ्गल  या संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त

चतुर्थी तिथि आरंभ- शुक्रवार 17 जून सुबह 06:10

चतुर्थी तिथि समाप्त- शनिवार, 18 जून तड़के 02:59 मिनट पर

उपया तिथि के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत 17 जून, शुक्रवार को रखा जाएगा। 

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनें। गणेश जी की पूजा से पहले एक चौकी तैयार करें और उसमें लाल या पीला रंग का कपड़ा बिछा दें। चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। रोली चंदन से भगवान गणेश का तिलक करें। भगवान को फल, फूल , माला और दुर्वा चढ़ाएं। गणेश जी को उनके प्रिय लड्डू और मोदक का भोग चढ़ाएं। संकष्टी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। चंद्रोदय के बाद अर्घ्य दें और अपना व्रत खोलें।

संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का महत्व और महत्व

विनायक चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करना पूरी तरह से निषेध होता है। लेकिन संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का खास महत्व होता है। चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा की जाती है तभी संकष्टी चतुर्थी का व्रत सफल होता है। इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा की पूजा जरूर करें। बता दें कि इस बार 17 जून को संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात्रि 10:03 बजे के करीब होगी। (हालांकि अलग-अलग शहरों चंद्रोदय के समय में कुछ मिनट का अंतर हो सकता है)। चंद्रोदय के बाद सबसे पहले चंद्र देव की पूजा करें। इसके लिए एक कलश में जल, दूध ,अक्षत और फूल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। फिर चंद्रमा को हाथ जोड़कर प्रणाम करें और इसके बाद व्रत का पारण करना चाहिए।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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