

- भगवान कृष्ण, माता सरस्वती, मां लक्ष्मी व श्री गणेश सभी को मोर के पंख किसी ना किसी रूप में प्रिय होते हैं
- मोर के पंख का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही होता चला आ रहा है
- इसके अलावा मोर के पंख का वास्तु शास्त्र में भी खास महत्व है
Peacock Feathers Benefits: मोर पंख कृष्ण को अर्पित होता है और वह कृष्ण का सबसे प्रिय होता है। खास बात यह है कि मोर के पंख का इस्तेमाल हर घर में किया जाता है। हर देवताओं का प्रिय आभूषण है। भगवान कृष्ण, माता सरस्वती, मां लक्ष्मी व श्री गणेश सभी को मोर के पंख किसी ना किसी रूप में प्रिय होते हैं। मोर के पंख का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही होता चला आ रहा है। इसके अलावा मोर के पंख का वास्तु शास्त्र में भी खास महत्व है। वास्तु की मानें तो घर में मोर पंख रखने से कई दोष दूर होता है। मोर के पंख घर में रखने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसके साथ ही घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। आइए जानते हैं मोर पंख को घर में किस दिशा में लगाने से खुशहाली व समृद्धि आती है।
घर में इस दिशा में रखें मोर पंख
ऐसी मान्यता है कि मोर के पंख में सभी देवी-देवताओं और नव ग्रहों का वास होता है। इसे घऱ में रखना शुभ माना जाता है और सभी अमंगल टल जाता है। मोर के पंख को घर में किस दिशाम में रखना चाहिए इस बात पर ध्यान जरूर दें। वास्तु शास्त्र में मान्यता है कि घर में दक्षिण-पूर्व दिशा में मोर के पंख को रखना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है व घर का वातावरण भी अच्छा रहता है।
Also Read: घर में लगी तुलसी देती है शुभ-अशुभ के संकेत, इन बदलावों को ना करें नजरअंदाज, तुरंत करें ये उपाय
फिजूलखर्ची बचाने के लिए यहां रखें मोर के पंख
इसके अलावा अगर आपके पास पैसे नहीं टिकते हैं व पैसे आते ही फिजूलखर्ची में लग जाते हैं तो ऐसे में पूजा के स्थान पर मोरपंख रख देना चाहिए। इससे घर में बरक्कत होगी और परिवार के सदस्यों के बीच संबंध मधुर होंगे।
बेडरूम में रखने से होते हैं ये फायदे
इसके अलावा अगर शादीशुदा जीवन में मनमुटाव चल रहा है तो मोर के पंख को बेडरूम में रख देना चाहिए। इससे पति-पत्नी के बीच के संबंध अच्छे होते हैं और प्यार बना रहता है। वास्तु के अनुसार बच्चों के स्टडी रूम में मोर पंख रखना चाहिए। इससे बच्चों का पढ़ने लिखने में मन लगता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)