- हिंदू धर्म में मान्यता है कि पूजा पाठ में बिना पान सुपारी के पूजा प्रारंभ नहीं हो सकती है
- पूजा पाठ हो या यज्ञ का प्रारंभ हर काम में पान के ऊपर सुपारी रखकर स्थापना होती है
- शास्त्रों में सुपारी को देवताओं का प्रतीक माना जाता है
Puja Path Mei Paan Supari Ke Fayde: हिंदू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है। व्यक्ति भगवान के प्रति आस्था को प्रकट करने के लिए हर रोज पूजा पाठ करता है। हिंदू शास्त्रों में पूजा पाठ के लिए कुछ चीजें निर्धारित की गई हैं। मान्यता है कि पूजा पाठ के समय इन चीजों का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है और यह चीज अनिवार्य रूप से शामिल होनी चाहिए। इन्हीं में से एक है पान व सुपारी।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि पूजा पाठ में बिना पान सुपारी के पूजा प्रारंभ नहीं हो सकती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि सुपारी दो तरह की होती है एक खाने वाली व दूसरी पूजा पाठ में चढ़ाने वाली तो हमेशा ऐसी ही सुपारी का इस्तेमाल किया जाता है जो पूजा पाठ में चढ़ती हो। हिंदू धर्म में पूजा पाठ हो या यज्ञ का प्रारंभ हर काम में पान के ऊपर सुपारी रखकर ही स्थापना की जाती है। ऐसा करना है हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं क्यों चढ़ाई जाती है पान सुपारी और इसका क्या महत्व है।
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इसलिए चढ़ाई जाती है सुपारी
शास्त्रों के मुताबिक पूजा की सुपारी का कभी सेवन नहीं करना चाहिए। पूजा संपन्न होने के बाद यह सुपारी ब्राह्मण को देनी चाहिए। ताकि वे कहीं इन्हें नदी में प्रवाहित कर दें। शास्त्रों में सुपारी को देवताओं का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सुपारी में देवी देवता वास करते हैं, इसीलिए पूजा-पाठ में सुपारी का विशेष महत्व होता है। सुपारी को देवता का प्रतीक मानकर ही पूजा संपन्न की जाती है। मान्यता है कि पूजा में सुपारी रखने से ब्रह्मा यमदेव, वरुण देव और इंद्र देव की उपस्थिति होती है।
क्यों चढ़ाया जाता है पान
अगर पान के पत्ते की बात करें तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालांतर में समुद्र मंथन के समय देवताओं ने पान के पत्ते का उपयोग किया था। दैविक काल से ही पान के पत्ते का उपयोग पूजा करते वक्त किया जाता आ रहा है। जैसे सुपारी में देवी देवताओं का वास होता है वैसे ही पान के पत्ते में भी देवी देवताओं का वास होता है। मान्यता है कि इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख समृद्धि आती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)