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Panchtantra ki Kahani: लोभ कैसे बनता है दुख का कारण, खूबसूरती से समझाती है पंचतंत्र की ये कहानी

Updated Jan 22, 2021 | 20:16 IST

पंचतंत्र में बच्चों के लिए बहुत सारी ज्ञान वाली कहानियां होती है। इस कहानी के माध्यम से आप अपने बच्चे को मां के प्रति आदर की भावना ला कर सकते हैं।

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पंचतंत्र की कहानी- दो सिर वाला जुलाहा

एक गांव में मनोहर नाम का मेहनती बुनकर अपनी मूर्ख और घमंडी पत्नी के साथ रहता था। मनोहर की सिलाई अच्छे होने के कारण उसके कपड़ों को अच्छे पैसा मिल जाते था। उसके कपड़े बनने की मशीन पूरी लकड़ियों से बनी थी। एक दिन अचानक बहुत बारिश होने के कारण और उसके कपड़े बुनने की मशीन पानी में डूबने से खराब हो गई। ऐसे में मनोहर इसे देखकर सोचने लगा की मशीन की लकड़ियां तो खराब हो गई, अब उसे बनाने के लिए नई लकड़ियां लानी पड़ेगी।

ऐसे में मनोहर मजबूत और लंबी लकड़ी वाला पेड़ जंगल में ढूंढने लगता है। जंगल में बहुत घूमने के बाद भी उसे कोई भी अच्छा पेड़ नजर नहीं आता है। घूमते-घूमते अचानक उसकी नजर नदी के किनारे एक बड़े पेड़ पड़ती हैं। जो बहुत ही लंबा और घना था। ऐसे में मनोहर सोचने लगा कि यह कितना अच्छा पेड़ है, इस लकड़ी से मेरी सारी परेशानियां दूर हो जाएगी।

जैसे ही मनोहर उस पैर पर कुल्हाड़ी मारने के लिए उठाता है, तभी अचानक उस पर से एक आवाज आती है, रुको मानव। इस आवाज को सुनकर मनोहर फट से पूछता है आप कौन हैं। तो आवाज आती है, कि मैं वृक्ष पर रहने वाला देवता हूं। मैं यहां नदी के किनारे बैठ कर नदी की शीतल हवा का आनंद लेता हूं। मनोहर भगवान से कहता है कि मैं भी लाचार हूं प्रभु मेरे कपड़े की मशीन पानी में बह गिर गई है।

इस मशीन के उपकरण को फिर से नया बनाने के लिए मुझे ऐसे ही लकड़ी की तलाश है। ऐसे में यदि मैं इस वृक्ष की लकड़ी नहीं ले जाऊंगा तो मेरा परिवार भूखा मरने लगेगा। इसलिए मैं इस वृक्ष की शाखाएं काटने के लिए विवश हूं। तब भगवान मनोहर से कोई एक वर मांगने के लिए कहते हैं। ऐसे में मनोहर भगवान से वर मांगने के लिए 1 दिन का समय मांगता है। देवता ठीक है, कहकर अदृश्य हो जाते हैं।

भगवान के अदृष हो जाने के बाद मनोहर जल्दी-जल्दी घर जाने लगाता है। गांव जाते समय रास्ते में मनोहर को अपने प्रिय मित्र नाई से भेंट होती है। तब मनोहर का मित्र मनोहर से पूछता है, मित्र तू बड़ी सोच में पड़े हो, क्या बात है सब ठीक तो है ना। तब मनोहर अपनी सारी परेशानियां अपने मित्र को बताता है।

ऐसे में दोस्त से मनोहर वर मांगने की सलाह मांगता है, तो उसका  मित्र उसे उस देश का राजा बनने और स्वयं को मंत्री बनाने की सलाह देता है। मनोहर को वह अपनी पत्नी से सलाह ना मांगने की राय देता है। लेकिन फिर भी सारी बात सुनकर मनोहर अपनी पत्नी से सलाह करने का विचार करता है। घर पहुंच कर जंगल की सारी घटनाएं वह अपनी पत्नी से कहता है और अपनी पत्नी से वरदान मांगने की सलाह मांगता है। ऐसे में उसकी पत्नी उसे सलाह देती है कि राजा बनने से बहुत सारे कष्ट होते हैं और वह संसार के लिए वक्त नहीं दे पाता है।

उसकी पत्नी कहती है, कि दो हाथ से इतनी अच्छी तुम बुनाई करते हो कि हमारा गुजारा अच्छे से हो जाता है। क्यों ना तुम भगवान से दो हाथ की जगह चार हाथ और एक सर की जगह दो सर मांग लो जिससे हमारा गुजारा और भी अच्छे से हो जाएं। मनोहर को पत्नी की यह बात सही लगती है और फिर से वह जंगल में जाकर भगवान के सामने दो हाथ और दो सर होने का वरदान मांगता है।

यह सुनकर भगवान मन ही मन मुस्कुरा कर मानव की मूर्खता हंसते हैं और उसे यह वरदान देकर अंतर्ध्यान हो जाते हैं। जब मनोहर जंगल से वापस आता रहता है, तो उसे बच्चे और गांव वाले देखकर डरने लगते हैं। तभी कुछ गांव वाले आकर उसे डंडे से पीट कर बेहोश कर देते हैं।

यह बात जब उसकी पत्नी को पता चलती है तो  वह अपने पति को देखने के लिए वहां जाती है और अपने पति को देखकर रोने लगती है। यह कहानी देखकर हमें या ज्ञान मिलता है, कि हमें जितना भगवान दिए हैं उसी में खुश रहना चाहिए। ज्यादा लोभ की अभिलाषा नहीं रखनी चाहिए।

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