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Aja Ekadashi 2022: कब है अजा एकादशी, इस व्रत को करने से मिलता है अश्वमेध यज्ञ समान पुण्य

Updated Aug 01, 2022 | 08:30 IST

Aja Ekadashi Vrat: भाद्रपद में अजा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से अश्वनेध यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस साल अजा एकादशी का व्रत 23 अगस्त 2022 को रखा जाएगा।

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अजा एकादशी
मुख्य बातें
  • भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है अजा एकादशी
  • अजा एकादशी का व्रत रखने से पापाों से मिलती है मुक्ति
  • अजा एकादशी व्रत से अश्वमेध यज्ञ के समान मिलता है पुण्य

Bhadrapada Aja Ekadashi 2022: एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित होता है। प्रत्येक माह दो एकादशी व्रत होते हैं। एक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और दूसरी कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को। सभी एकादशी को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत बहुत पुण्यदायी माना जाता है। जो व्यक्ति इस दिन व्रत व पूजन करता है उसके पापों से मुक्ति मिलती है और अध्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। इस बार अजा एकादशी का व्रत 23 अगस्त 2022 को रखा जाएगा। जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से।

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अजा एकादशी व्रत से अश्वमेध यज्ञ के समान मिलता है फल

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की तिथि को पड़ने वाले अजा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पूर्व जन्म के पाप नष्ट होते हैं और उसे अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। भगवान श्री रामचंद्र ने अपने जीवन काल में अश्वमेध यज्ञ किया था और इसी यज्ञ के फल के कारण उन्हें लव कुश से मिलने का अवसर प्राप्त हो सका।

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 अजा एकादशी पूजा विधि
अजा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। लेकिन इस दिन बाल धोकर स्नान नहीं करना चाहिए। यदि आप बाल धोना भी चाहे तो केवल पानी से धोएं साबुन या शैम्पू का प्रयोग न करें। पूजा के लिए पूर्न दिशा में एक चौकी तैयार करें और इसपर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर आसन तैयार करें। फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और चंदन का तिलक लगाकर पुष्प की माला पहनाएं।

भगवान को रोली, अक्षत, पुष्प, पंचामृत, फल और नैवेद्य अर्पित करें। साथ ही तुलसी दल भी अवश्य चढ़ाएं। इसके बाद अजा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आरती करें। इस दिन विष्णु चालीसा का पाठ और विष्णु स्तुति भी उत्तम होता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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