- प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है प्रदोष व्रत, मंगलवार पर पड़ने वाले प्रदोष व्रत को कहा जाता है भौम प्रदोष व्रत।
- भगवान शिव को समर्पित है प्रदोष व्रत, इस तिथि पर भगवान हनुमान की पूजा करने से मिलता है विशेष फल।
- भगवान शिव की पूजा, कथा का पाठ करने से मिलता है प्रदोष व्रत का संपूर्ण फल।
Bhauma Pradosh Vrat 2021 Subh Muhurt Time and Vrat Katha: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए साल भर में कई व्रत किए जाते हैं मगर प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए काफी अनुकूल माना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान शंकर प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते है। भगवान शंकर को भोलेनाथ, महेश, नीलकंठ, गंगाधर, शिव आदि नामों से जाना जाता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि यानी तेरहवीं तिथि पर रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत कल्याणकारी माना है। कहा जाता है जो भक्त प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा-आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वह भयमुक्त हो जाता है।
भौम प्रदोष व्रत कब पड़ता है
भगवान शिव की पूजा-आराधना करने से शक्ति का संचार होता है तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि मंगलवार के दिन पड़ रही है। जब भी प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत पर भगवान हनुमान की पूजा करना भी बेहद मंगलकारी होता है।
भौम प्रदोष व्रत भगवान शंकर की अराधना कल्याणकारी
त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा-आराधना करना बेहद लाभदायक माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव ने असुरों का वध किया था। कहा जाता है कि एक बार असुर देवताओं को परेशान कर रहे थे इसके वजह से त्रयोदशी तिथि पर देवताओं ने भगवान शिव और नंदी से असुरों का वध करने के लिए अनुरोध किया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत लाभदायक होता है। सूर्यास्त से 45 मिनट पहले से लेकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक के काल को प्रदोष काल कहा जाता है। यहां जानें, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि कब पड़ रही है तथा इस दिन किस कथा का पाठ करना चाहिए।
भौम प्रदोष तिथि तथा मुहूर्त
- भौम प्रदोष व्रत तिथि: - 22 जून 2021, मंगलवार
- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: - 22 जून 2021 सुबह 10:22
- त्रयोदशी तिथि समाप्त: - 23 जून 2021 सुबह 06:59
- पूजा मुहूर्त: - 22 जून 2021 शाम 07:22 से 09:33 तक
- ब्रह्म मुहूर्त: - सुबह 03:36 से 04:18 तक
- अभिजित मुहूर्त: - सुबह 11:23 से दोपहर 12:17 तक
- विजय मुहूर्त: - दोपहर 02:07 से 03:02 तक
- गोधूलि मुहूर्त: - शाम 06:28 से 06:52 तक
- अमृत काल: - सुबह 06:27 से 07:54 तक
- त्रिपुष्कर योग: - सुबह 04:59 से 10:22 तक
भौम प्रदोष व्रत कथा/Bhaum Pradosh Vrat Katha
बहुत समय पहले एक वृद्ध महिला रहा करती थी जो महाबली हनुमान की परम भक्त थी। उस बूढ़ी महिला का एक नौजवान बेटा था। महिला हमेशा हनुमान जी की पूजा करती थी और मंगलवार के दिन विशेष व्रत रखती थी।
हनुमान जी उस वृद्धा से बेहद प्रसन्न थे मगर एक बार उन्होंने उस महिला की परीक्षा लेने की सोची। महिला की परीक्षा लेने के लिए हनुमान जी ने एक साधु का वेश धारण कर लिया और उसके घर के बाहर जाकर जोर-जोर से चिल्लाने लगे और पूछने लगे कि यहां कोई हनुमान भक्त है जो मेरी मनोकामनाओं को पूरा करेगा। जब उस बुजुर्ग महिला ने हनुमान जी की आवाज सुनी तो वह बाहर दौड़ी चली आई और साधु को प्रणाम करने लगी। प्रणाम करने के बाद उस वृद्ध महिला ने साधु से उसकी इच्छा पूछी।
हनुमान जी की इच्छा सुन महिला हैरान हो गई
साधु के वेश में हनुमान जी ने उसे कहा कि वह भूखे हैं इसलिए वह उन्हें भोजन दे और इस जमीन का लेपन कर दें। इस पर वृद्धा ने कहा कि वह यह जमीन नहीं लीप सकती इसके अलावा अगर उनकी कोई और इच्छा है तो वह उसे अवश्य पूरा करेगी।
उस वृद्धा की बात सुनकर हनुमान जी ने उससे वचन लिया कि वह अपनी बात पर अडिग रहेगी और उनकी इच्छा पूरी करेगी। बूढ़ी महिला हनुमान जी की बात को मान गई। इसके बाद हनुमान जी ने बोला कि तुम अपने बेटे को बुलाओ मैं उसकी पीठ पर अपने लिए खाना बनाऊंगा। वह बूढ़ी महिला फंस चुकी थी मगर अब उसने अपना वचन दे दिया था इसलिए उसने अपने बेटे को बुलाया और उसकी पीठ पर आग लगा दिया।
ऐसे मिला उस वृद्धा को वरदान
अपने बेटे की पीठ पर आग लगाकर वह महिला अंदर चली गई जिसके बाद भगवान हनुमान जी ने उसे वापस बुलाया। जब महिला वापस आई तो भगवान हनुमान ने कहा कि भोजन तैयार हो गया है वह अपने बेटे को भी बुला ले ताकि वह भी यह भोजन ग्रहण कर सके। हनुमान जी की बात सुनकर बूढ़ी महिला बेहद उदास हो गई लेकिन भगवान हनुमान ने उसे अपने बेटे को बुलाने के लिए वापस कहा। जब उसने अपने बेटे को बुलाया तो उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा कि उसका बेटा सही सलामत था। अपने बेटे को सही सलामत देखकर वह बहुत खुश हुई और साधु को नतमस्तक करने लग गई। वृद्धा की आस्था और श्रद्धा देखकर हनुमान जी ने उसे दर्शन दिया और वरदान दिया।