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Chaitra Purnima 2022 Vrat Katha: इस पावन कथा को पढ़ने से भगवान हनुमान जल्द होते हैं प्रसन्न, देखें यहां

Updated Apr 16, 2022 | 07:59 IST

Chaitra Purnima 2022 Vrat Katha: चैत्र माह की पूर्णिमा हिंदू नव वर्ष की सबसे पहली पूर्णिमा होती है। इसी दिन भगवान श्री हनुमान पृथ्वी पर अपने स्वामी श्रीराम का सहयोग करने के लिए जन्म लिए थे। चैत्र पूर्णिमा का व्रत बहुत ही फलदाई होता है।

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Chaitra Purnima 2022 Katha
मुख्य बातें
  • हिंदू धर्म में चैत्र माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है 
  • इसी दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था 
  • इस पावन दिन पर कथा का पाठ करना शुभ माना गया है

Chaitra Purnima 2022 Date, Katha In Hindi: हिंदू धर्म में चैत्र माह की पूर्णिमा का एक विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री हनुमान अपने प्रभु श्री राम का सहयोग करने के लिए धरती पर जन्म लिए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन श्रद्धा पूर्वक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करे, तो उस व्यक्ति को हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि आप भी हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत रखना चाहते हैं, तो यहां आप इसकी पौराणिक कथा पढ़ सकते हैं।

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चैत्र पूर्णिमा 2022 व्रत कथा (Chaitra Purnima 2022 Vrat Katha In Hindi)

एक बार की बात है किसी नगर में एक सेठ और सेठानी रहा करते थे। सेठानी प्रतिदिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना श्रद्धा पूर्वक करती थी। लेकिन उसका पूजा करना उसके पति (सेठ) को बिल्कुल नहीं भाता था। इसी वजह से एक दिन सेठ ने उसे घर से निकाल दिया। सेठानी घर से निकलने के बाद जंगल की तरफ निकल पड़ी। रास्ते में जाते समय सेठानी ने देखा कि जंगल में चार आदमी मिट्टी खोद रहे थे। यह देखकर सेठानी उस आदमी के पास गई और उन लोगों से कहा, आप मुझे किसी काम पर रख लें। 

सेठानी के ऐसा कहने पर चारों आदमी ने उसे नौकरी पर रख लिया। चूकि सेठानी बहुत ही कोमल थी, इस वजह से उसके हाथ पर छाले पड़ गए। यह देखकर चारों आदमी ने सेठानी से कहा कि तुम यह काम छोड़ दो। तुम किसी अच्छे घर की लगती हो। इसकी जगह तुम हमाने घर का काम कर दो। 

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सेठानी ने कहा ठीक है। तब वह चारों आदमी सेठानी को अपने घर ले गए। वहां वह चारों आदमी चार मुट्ठी चावल लाते थे और उसे आपस में बांट कर खा लेते थे। यह देखकर सेठानी को बड़ा बुरा लगा। अगले दिन सेठानी ने चारों आदमी से कहा सुनो भाई तुम कल से चार मुट्ठी की जगह 8 मुट्ठी चावल लेकर आना।

सेठानी के कहने पर चारों आदमी अगले दिन 8 मुट्ठी चावल लाए। उस आठ मुट्ठी चावल को सेठानी ने पका कर भोजन बनाया और उसे भगवान विष्णु को भोग लगाकर चारों आदमी को परोस दिया। जब चारों आदमी ने उस भोजन को खाया, तो वह भोजन उन लोगों को बहुत स्वादिष्ट लगा और उन्होंने सेठानी से कहा कि सुनों बहन आज जो तुमने खाना बनाया वह बहुत ही स्वादिष्ट है। यह सुनकर सेठानी ने कहा, यह भोजन भगवान विष्णु का झूठा है। इसी वजह से आप लोगों को यह बहुत स्वादिष्ट लग रहा है।

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सेठानी के जाने के बाद सेठ भूखा रहने लगा। आसपास के लोग उसे देखकर ताना मारते थे कि यह आदमी सिर्फ अपनी पत्नी यानि सेठानी की वजह से ही भोजन किया करता था। यह सुनकर सेट एक दिन अपनी पत्नी सेठानी को खोजने के लिए जंगल की तरफ निकल पड़ा। रास्ते में उसे वही चार आदमी मिट्टी खोदते हुए दिखाई दिए। उसे देखकर सेठ ने कहा सुनों भाई क्या तुम मुझे काम पर रख सकते हो। 

तब चारों आदमी ने उसे भी काम पर रख लिया। लेकिन मिट्टी खोदने की वजह से सेठ के हाथों में छाले पड़ने लगे और उसके बाल उड़ गए। यह देखकर उस चारों आदमी ने कहा, सुनों भाई तुम यह काम रहने दो। तुम अच्छे घर के लगते हो, तुम हमारे घर चलो वहां कुछ काम कर लेना। तब सेठ ने उन चारों की बात मान ली और वह उनके साथ उनके घर के तरफ चल पड़ा।

घर पहुंचने के बाद सेठ ने सेठानी को देखते ही पहचान लिया। लेकिन सेठानी घूंघट में थी इस वजह से वह अपने पति यानी सेठ को नहीं पहचान पाई। हर दिन की तरह इस दिन भी सेठानी ने भोजन बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाकर सभी को खाना परोस दिया। जैसे ही सेठानी सेठ को भोजन देने लगी तभी भगवान विष्णु ने सेठानी का हाथ पकड़ लिया और कहा ये तुम क्या कर रही हो। यह सुनकर सेठानी ने कहा, मैं कुछ नहीं कर रही हूं, मैं तो भोजन दे रही हूं भगवान विष्णु ने मेरा हाथ पकड़ लिया है।

तब चारों भाई ने सेठानी से कहा हमें भी भगवान विष्णु के दर्शन कराओ। ऐसा कहने पर सेठानी भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर अनुरोध करने लगी हे, प्रभु आप मेरी तरह इन्हें भी दर्शन दें। तब भगवान विष्णु वहां प्रकट हो गए। यह देखकर सेठ ने सेठानी से क्षमा मांगी और उसे अपने घर साथ चलने को कहा। तब चारों भाइयों ने अपनी बहन को बहुत सारा धन देकर विदा किया। उसी समय से सेठ भी भगवान विष्णु के भक्त बन गया और उनकी पूजा श्रद्धा पूर्वक करने लगा। ऐसा करने से उसके घर में फिर से धन की बरसात हो गई। ऐसी मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से हनुमान जी के साथ प्रभु श्री राम और माता सीता की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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