- आचार्य चाणक्य की नीतियां हर युग में प्रासंगिक हैं।
- आचार्य चाणक्य ने तीन चीजों को मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र बताया है।
- ये तीन चीजें आखिरी वक्त तक मनुष्य का साथ देती हैं।
Chanakya Neeti: आचार्य चाणक्य हजारों साल पहले कुछ ऐसे मूलमंत्र देकर गए हैं, जिन्हें अपने जीवन में अपनाकर हर परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। अपनी नीतियों में चाणक्य ने दोस्ती, पति-पत्नी के रिश्ते से लेकर मनुष्य की हर एक आदतों के बारे में बताया है जो उन्हें हर एक मुश्किल से बचा सकती है। इसी कड़ी में उन्होंने बताया कि मनुष्य के तीन मित्र हमेशा उसका जीवन आसान बना सकते हैं।
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ज्ञान में कहा है कि इंसान का सबसे सच्चा मित्र होता है उसका ज्ञान। व्यक्ति कितनी भी मुश्किल में क्यों न फंसा हो, वह अपने ज्ञान के जरिए उससे आसानी से निकल सकता है। यही नहीं, आदमी का ज्ञान उसे रास्ते से भटकने भी नहीं देता है। अगर व्यक्ति अकेला भी पड़ जाए तो भी उसका ज्ञान उसका पूरा साथ देता है। ऐसे में जितना अधिक हो उतना ज्ञान अर्जित करें।
औषधि है दूसरी मित्र
आचार्य चाणक्य के मुताबिक मनुष्य की दूसरी सबसे अच्छी मित्र है औषधि यानी दवाई। व्यक्ति जब बीमार होकर बिस्तर पकड़ लेता है तो उसकी मदद कोई नहीं कर पाता। ऐसे में केवल औषधि ही उसके काम आती है। औषधि में बड़े से बड़े रोगों को ठीक करने की ताकत होती है। कोरोना काल में आचार्य चाणक्य की ये नीति और भी अधिक सार्थक होती नजर आ रही है।
तीसरा मित्र धर्म
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य का तीसरा सबसे अच्छा मित्र है उसका धर्म। धर्म ही वह चीज है जो व्यक्ति को सही और गलत के बीच फर्क करने में मदद करता है। धर्म के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धर्म के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को संसार से जाने के बाद भी हर कोई याद करता है। इसका कारण है कि वह हमेशा अच्छे काम करता है। इसी कारण ये मनुष्य का तीसरा सबसे अच्छा मित्र है।