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Chanakya Niti: जन्म से ही इंसान में होते हैं ये चार गुण, इन्हें नहीं पैदा कर सकता कोई गुरु

Updated Apr 30, 2020 | 08:30 IST

Chanakya Niti: इंसान का जन्म कुछ गुणों के साथ ही होता है। ये गुण अच्छे हो या बुरे उन्हें चाहकर भी बदला नहीं जा सकता। चाणक्य नीति में भी मनुष्य के लिए ऐसे ही चार गुण बताए गए हैं, जो जन्मजात होते हैं।

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Chanakya policy,चाणक्य नीति
मुख्य बातें
  • इंसान के अंदर दान का गुण पैदा नहीं किया जा सकता
  • धैर्य ऐसी चीज है जो इंसान में अपने आप पैदा होता है
  • नेतृत्व क्षमता जन्मजात गुण में मानी जाती है

ये कहावत शायद चाणक्य की नीतियों से ही निकले होंगे कि नेचर और सिग्नेचर बदले नहीं जा सकते, जबकि आप अपना व्यवहार बदल सकते हैं। चाणक्य भी ऐसा मानते थे कि पैदा होने के बाद मनुष्य पर उसके परिवेश, अनुभवों, परवरिश और पढ़ाई-लिखाई का प्रभाव जरूर पड़ता है, लेकिन कुछ गुण मनुष्य में पहले से विराजमान होते हैं और ये गुण ऐसे होते हैं, जो माता-पिता के संस्कारों, या गुरु की शिक्षा से भी नहीं पैदा किए जा सकते। ये गुण जन्मजात कहे जाते हैं जो बच्चे स्वत: आ जाते हैं। विशेष बात ये कि मां-बाप न चाहें तो भी ये गुण बच्चे में झलकेंगे ही।

 चाणक्य ने मनुष्य में इन चार जन्मजात गुणों के बारे में बताया है

 दानशीलता का व्यवहार

दानशीलता का गुण जन्मजात होता है इसका अमीर-गरीब या ऊंच-नीच से लेना-देना नहीं होता। दान करने वाले की ये प्रकृति उसमें पैदाइशी होती है। किसी के पास धन-संपदा बहुत होने के बाद भी वह दान-पुण्य नहीं करता, वहीं कोई गरीब होते हुए भी अपनी क्षमता के अनुसार दान करता है। ये दान का गुण इंसान में जन्मजात होता है। ये गुण सीखाने या बताने से नहीं आ सकता।

धैर्यता का गुण

आप किसी भी इंसान के अंदर धैर्य रखने का गुण विकसित नहीं कर सकते। सभी में धैर्य की अलग-अलग क्षमता होती है। धैर्य भी एक प्राकृतिक गुण है, जिसे विकसित करना बेहद मुश्किल है। धैर्य को लेकर व्यक्ति खुद को लाख समझाएं, तैयार करें, लेकिन जरूरत के वक्त उसकी ये कमी उजागर हो ही जाती है। चाणक्य ने यह भी कहा है कि धैर्य का पैमाना कम या ज्यादा होना व्यक्ति का जन्मजात होता है।

फैसला लेने की क्षमता

फैसले लेने की क्षमता सभी में नहीं होती और यही कारण है कि कई बार व्यक्ति एक समस्या पर लंबे समय तक परेशान रहता है। फैसला लेने की क्षमता जिसमें होती है उसमें नेतृत्व क्षमता भी बेहतर होती है। बहुत लोग अपने फैसलों के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जो किसी बड़े पद पर होते हुए भी निर्णय नहीं ले पाते। वहीं, कुछ लोगों में निर्णय लेने की क्षमता बहुत तेज होती है। वे पल भर में दूध का दूध और पानी का पानी कर देते हैं। हालांकि ये गुण भी जन्मजात होता है। इसे पैदा नहीं किया जा सकता।

 मीठे बोल

बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिनकी भाषा शैली में कठोरता झलकती है। ऐसा लगता है कि वे जब भी बात करेंगे तो रुखेपन से ही करेंगे। सकारात्मक या संवेदनशील मुद्दों पर भी उनका नजरिया बहुत ही रूखा होता है और ऐसा लगता है कि वे कड़वा ही बोलते हैं। लेकिन ये भी उनके प्राकृतिक गुण से ही जुड़ा हुआ मामला है। प्राकृतिक रूप से मधुर वाणी के गुण वाला व्यक्ति चाहकर भी कड़वा नहीं बोल सकता। बोली का ये तरीका सिखाया नहीं जा सकता।

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