- कोई कार्य शुरू करने के बाद व्यक्ति को असफलता से नहीं घबराना चाहिए।
- अवसर का फायदा उठाने वाले लोग सफलता की सीढ़ी जल्दी-जल्दी चढ़ते हैं।
- सच बोलने वाले ईमानदार व्यक्ति को हर जगह मिलता है सम्मान।
Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य नीति में वे बातें बताई गई हैं, जो जीवन के लिए बहुत ही उपायोगी हैं। यही कारण है कि कई सदी बीत जाने के बाद भी आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई नीति शास्त्र का महत्व कम नहीं हुआ है। लोग आज भी चाणक्य नीति का अध्ययन करते हैं और इससे बहुत सारी बातें सीख कर उसपर अमल भी करते हैं। नीति शास्त्र में जीवन के कई पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया गया है। आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र में सफलता के भी कई सूत्र बताएं हैं। जो भी व्यक्ति इन उपयों को अपने जीवन में अपनाता है, उसके सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
असफलता से कभी ना घबराएं
आचार्य चाणक्य के अनुसार एक बार जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को शुरू कर दे तो उसे असफलता से नहीं डरना चाहिए और न ही उस कार्य को कभी बीच में छोड़ना चाहिए। हमेशा ईमानदारी से अपने कार्य करते रहने वाले व्यक्ति की जीत जरूर होती है।
अवसर मिलने पर न चूकें
चाणक्य नीति के अनुसार, व्यक्ति को अवसर मिलने पर अपनी प्रतिभा दिखाने से नहीं चूकना चाहिए। जो लोग अवसर आने पर आलस्य करते हैं, वे बाद में हाथ मलते रह जाते हैं। ऐसे लोग पूरी जिंदगी सिर्फ अफसोस ही करते हैं। व्यक्ति को किसी भी अवसर पर खरा उतरने के लिए सदैव तैयार और तत्पर रहना चाहिए। जो व्यक्ति इन बातों को ध्यान में रखता है वह जीवन में कभी असफलता का मुंह नहीं देखता है और कामयाबी उसके साथ चलती है।
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सच बोलने वाले का हर जगह सम्मान
आचार्य चाणक्य के अनुसार , जो व्यक्ति झूठ बोलता है वह अपयश ही पाता है, क्योंकि झूठ किसी को पसंद नहीं होता है। ऐसे लोग झूठ बोलकर जरूर कुछ दिन तक अपने कार्य करवा सकते हैं, लेकिन एक न एक दिन पकड़े ही जाते हैं। वहीं सच बोलने वाले को सफलता भले ही देरी से मिले, लेकिन मिलती जरूर है। ऐसे लोगों को समाज में सम्मान भी खूब मिलता है।
प्रश्न करने से कभी न करें संकोच
आचार्य चाणक्य के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को कभी दिमाग में चल रहे प्रश्नों का जवाब जानने में संकोच नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति संकोची होते हैं, वे कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। क्योंकि संकोची लोगों को ज्ञान नहीं मिल पाता है और वे पूरा जीवन अज्ञानी ही रह जाते हैं।
क्रोध से बनाए रखें दूरी
आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु उसका क्रोध होता है। गुस्से में व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाती है। इसलिए व्यक्ति को क्रोध से हमेशा दूरी बनाए रखना चाहिए।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)