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Chanakya Niti: चाणक्य नीति के इन 6 सिद्धांतों का करें पालन, कभी नहीं होगी धन की कमी

Updated May 18, 2020 | 08:10 IST

Chanakya Neeti: धन कमाने के तरीके और उसके संचय की विधि यदि सही हो तो इंसान कभी गरीब नहीं हो सकता। चाणक्य के सिद्धांत भी कुछ ऐसा ही बताते हैं।

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Chanakya Neeti, चाणक्य नीति
मुख्य बातें
  • बुरे कर्मों से कमाए धन की आयु 10 साल होती है
  • बुरे वक्त से पहले अपने संबंधियों को परखना सीखें
  • धन कमाना ही नहीं, धन का संचय करना भी जरूरी है

जब तक मनुष्य के पास पर्याप्त धन रहता है तब तक उसके भाई, बहन, दोस्त, सगे-संबंधी सभी साथ होते हैं, लेकिन धन जाते ही सब साथ छोड़ देते हैं। चाणक्य की नीतियों पर ध्यान दें सतो उसमें भी यही बात कही गई है कि धन जब किसी को कष्ट या क्लेश दे कर अर्जित किया जाता है तो वह अस्थाई होता है। ऐसा धन इंसान के रिश्ते-नाते और सगे संबंधी सबसे दूर कर देता है। धन को कमाने का तरीका और धन संचय की विधि यदि सही हो तो इंसान कभी आर्थिक तंगी नहीं झेलता। चाणक्य की नीतियों में ऐसे 6 सिद्धांत दिए गए हैं जिससे समझ लिया जाए तो कभी गरीबी नहीं आ सकती।

चाणक्य की ये 6 बातें आपके जीवन में धन की कमी नहीं होने देंगी  

कभी पाप की कमाई न करें

चाणक्य नीति के 15वें अध्याय में इस बात का जिक्र है कि यदि धन हासिल करने के लिए गलत रास्ता अपनाया जाता है तो वह धन स्थायी नहीं होता। ऐसा धन दस साल से ज्यादा नहीं टिक सकता। इसके बाद वह धन सूद समेत नष्ट हो जाता है। इसलिए हर मनुष्य को धन कमाने के लिए सही रास्ते पर चलना चाहिए क्योंकि गलत तरीके से कमाया हुआ धन 11वें साल में खुद ही नष्ट हो जाता है।

धन संचय जरूरी

चाणक्य की नीतियों में कहा गया है कि धन संचय करना जो जितनी जल्दी समझता है वह उतना ही धनी होता है। आड़े वक्त के लिए धन अवश्य बचाकर रखना चाहिए, क्योंकि ऐसे वक्त में सगे भी साथ छोड़ देते हैं। इसलिए मनुष्य को अपने बुरे समय के लिए धन अवश्य बचाकर रखना चाहिए। धन से ही सारे कार्य संभव होते हैं इसलिए धन की महत्ता को कभी आंका नहीं जा सकता। अच्छे दिन में धन खर्च करने से ज्यादा धन संचय करना सीखें।

सद्गुण के साथ करें धन अर्जन

धन का अर्जन हमेशा सद्गुण के साथ ही होता है। समाज में सद्गुणों वाले इंसान का सम्मान होता है और जिसका सम्मान होता है उसके पास धन है या नहीं यह मायने नहीं रखता। बल्कि उसका सदगुण ही उसे धन का भागी बना देता है। जिस प्रकार पूर्णिमा के चांद के स्थान पर द्वितीया का छोटा चांद पूजा जाता है, उसी प्रकार सद्गुणों से युक्त मनुष्य निर्धन और नीच कुल का होते हुए भी पूजनीय होता है।

कसौटी पर परखने की कला सीखें

समय-समय पर अपनों को कसौटी पर परखते रहें कि आपके आड़े वक्त में कौन साथ देगा और कौन दूर हो जाएगा। धन संपत्ति की परख के लिए हर किसी को हर किसी की परख करनी चाहिए। पति-पत्नी, दोस्त, नौकर सबको परखना चाहिए। ताकि आपको यह ज्ञात रहे कि आपके आड़े समय में कोई साथ होगा भी या नहीं। ऐसा करने वाला व्यक्ति हमेशा सजग होता है और धन के महत्व को समझता है।

जहां कमाई नहीं हो वहां कभी न रुकें

चाणक्य की नीतियों में यह स्पष्ट लिखा है कि जिस देश, राज्य या शहर में कमाई का जरिया न हो वहां से हट जाना ही बुद्धिमता है। जहां रोजगार, इज्जत, शुभ चिंतक और शिक्षा न मिले वहां रहने का कोई फायदा नहीं है। चाणक्य की नीतियों में कहा गया है कि समृद्ध व्यापारी, शिक्षित ब्राह्मण, सैनिक, नदी और चिकित्सक जहां हो, इंसान को वहीं रहना चाहिए।

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