Chintaman Ganesh temple: गणेश जी के प्रसिद्ध सिद्ध मंदिरों में केवल चार ऐसे मंदिर हैं जिन्हें चिंतामन गणेश मंदिर की मान्यता दी गई है। चिंतामन सिद्ध भगवान गणेश की देश में चार स्वंयभू प्रतिमाएं हैं। इनमें से एक रणथंभौर सवाई माधोपुर (राजस्थान) दूसरी उगौन स्थित अवन्तिका, तीसरी गुजरात के सिद्धपुर में और चौथी सीहोर में चिंतामन गणेश मंदिर। इन चारों जगहों पर गणेश चतुर्थी पर मेला लगता है। इन मंदिरों की दंतकथाएं भी हैं।
मान्यता है कि इन मंदिरों में यदि किसी ने कोई मनोकामना मांगी तो वह पूरी जरूर होती है। मंदिरों में प्रवेश करने पर ही एक अलग सी अनुभूति होती है। इन सभी मंदिरों कि स्थापना के पीछे कहानियां हैं। किसी मंदिर को राम जी ने तो किसी को राजा विक्रामादित्य ने स्थापति कराया था। गणपति जी के इस मंदिर में दर्शन करलेना महातीर्थ की श्रेणी में माना जाता है। इसलिए अपने जीवन काल में इन मंदिरों के दर्शन जरूरी करें। तो आइए जाने इन मंदिरों की दंतकथाएं।
पुष्परूप में मिले थे गणपति
भोपाल से 2 किलोमीटर दूर सीहोर में स्थित चिंतामन गणेश मंदिर की स्थापना विक्रमादित्य ने कराई थी। मान्यता है इस मंदिर में स्थापति मूर्ति स्वयं गणेश जी ने उन्हें दी थी। एक बार राजा विक्रमादित्य के स्वप्न में गणपति आए और पार्वती नदी के तट पर पुष्प रूप में अपनी मूर्ति होने की बात बताई और आदेश दिया कि उसे मंदिर बनाकर स्थापित करें। राजा विक्रमादित्य को पार्वती नदी के तट पर वह पुष्प मिल गया और उसे लेकर राज्य की ओर लौट पड़े। रास्ते में रात हो गई और अचानक वह पुष्प गणपति की मूर्ति में परिवर्तित होकर वहीं जमीन में धंस गया। अंगरक्षकों ने जंजीर से रथ को बांधकर मूर्ति को जमीन से निकालने की बहुत कोशिश की पर मूर्ति निकली नहीं। तब विक्रमादित्य ने गणमति की मूर्ति वहीं स्थापित कर इस मंदिर का निर्माण कराया।
मूर्ति को लगे चांदी के नेत्र
मंदिर में स्थापित गणपति की मूर्ति की आंख चांदी की बनी है लेकिन ये कभी हीरे की हुआ करती थी लेकिन ये चोरी हो गई तो बाद में इसे चांदी का बनवाया गया। कहा जाता है जब हीरे की आंख चोरी हुई थी तब आंख से दूध की धार टपकती थी। भंडारे और उल्टे स्वास्तिक की कहानी यहां हर माह गणेश चतुर्थी पर भंडारा होता है। प्लेग फैलने के कारण यहां के लोगों ने मनौती मांगी थी और जब प्लेग खत्म हो गया तो हर माह को गणेश चतुर्थी पर भंडारा किया जाने लगा। यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर के पिछले हिस्से में उल्टा स्वास्तिक बनाकर मन्नत रखते हैं और पूरी हो जाने पर दुबारा आकर उसे सीधी बनाते हैं।
उज्जैन में भी हैं चिंतामनी गणेश
उज्जैन का चिंतामन मंदिर त्रेतायुग का माना जाता है। इस मंदिर में भगवान राम ने गणपति की मूर्ति स्थापित की थी। दंतकथा है कि वनवास के समय एक बार सीता जी को प्यास लगी, तब पहली बार राम की आज्ञा को न मान कर लक्ष्मण जी ने पानी ढूंढ़कर लाने से इनकार कर दिया। राम ने अपनी दिव्यदृष्टि से वहां की हवाएं दोषपूर्ण होने की बात जान ली और इसे दूर करने के लिए गणपति के इस चिंतामन मंदिर का निर्माण कराया। कहते हैं बाद में लक्ष्मण ने मंदिर के बगल में एक तालाब बनवाया जो आज भी लक्ष्मण बावड़ी के नाम से जाना जाता
है। इस मंदिर में एक साथ तीन गणपति की मूर्तियां स्थापित हैं।
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