- सावन के महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है
- सावन के महीने में सड़कों पर कांवड़ यात्रा करने वालों का हुजूम निकलता है
- भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्त गंगा नदी से कांवड़ में गंगाजल भरकर लाते हैं
Sawan 2022 Shubh Muhurat: सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है। सावन का महीना 12 अगस्त को समाप्त होगा। इस साल सावन के महीने में चार सोमवार व्रत पड़ रहे हैं। पहला सोमवार 18 जुलाई को हो चुका है, जबकि दूसरा सावन सोमवार 25 जुलाई को पड़ेगा। सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है। यह महीना शिव भक्तों के लिए भी सबसे खास महीना होता है। सावन के महीने में शिव भक्त मंदिरों में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। सावन के महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। सावन के महीने में सड़कों पर कांवड़ यात्रा करने वालों का हुजूम निकलता है। भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्त गंगा नदी से कांवड़ में गंगाजल भरकर लाते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्रावण महीने में भगवान शिव को गंगा जल चढ़ाने से भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती हैं। कांवड़ यात्रा तीन तरह की होती हैं, डाक कांवड़ यात्रा, दांडी कांवड व खड़ी कांवड़ यात्रा। हिंदुओं में डाक कांवड़ यात्रा सबसे कठिन होती है। आइए जानते हैं डाक कांवड़ यात्रा क्यों सबसे अलग है।
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जानिए क्या है डाक कांवड़
डाक कांवड़ यात्रा बाकी कांवड़ यात्रा से अलग है। डाक कांवड़ यात्रा लंबी होती है। डाक कांवड़ यात्रा में कांवड़िए शिव के जलाभिषेक तक बिना रुके लगातार चलते रहते हैं और शिव धाम तक की यात्रा एक निश्चित समय में तय करते हैं। डाक कांवड़ यात्रा में रुका नहीं जाता है। यह लगातार करनी पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि कांवड़िए कांवड़ ले लेकर लंबी यात्रा करते हैं, लेकिन बीच में विश्राम भी लेते हैं, लेकिन डाक कांवड़ यात्रा में विश्राम लेने की अनुमति नहीं होती है। डाक कांवड़ यात्रा में जब एक बार कांवड़ उठा लेते हैं तब बिना स्थान पर पहुंचे हुए रुकते नहीं हैं।
ये होते है नियम
डाक कांवड़ यात्रा को लेकर ऐसी मान्यता है कि यात्रा के दौरान कांवड़िए मूत्र मल भी नहीं त्यागते हैं। अगर नियमों को कोई तोड़ता है तो यह यात्रा खंडित हो जाती है। डाक कांवड़ कांवड़िए समूह में चलते हैं लेकिन कई बार वाहन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।डाक कांवड़ियों के लिए तामसिक भोजन करने की मनाही होती है और उन्हें सात्विक रहने की सलाह दी जाती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)