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वामन जयंती 2020 की तिथि और महत्व, जानिए क्या है भगवान विष्णु के पांचवें अवतार की कथा

Updated Aug 26, 2020 | 11:26 IST

वामन को भगवान विष्णु का पांचवां अवतार माना जाता है। यह अवतार लेकर भगवान ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगकर देवताओं को असुरों के बढ़ते प्रभाव और आधिपत्य से मुक्त कराया था।

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वामन जयंती 2020
मुख्य बातें
  • भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है वामन जयंती
  • 29 अगस्त 2020 को होगा जाएगा श्री वामन जयंती का पर्व
  • जानिए भगवान विष्णु के इस अवतार की कथा और महत्व

मुंबई: वामन जयंती हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इसे वामन द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। 2020 में, वामन जयंती 29 अगस्त को मनाई जाएगी। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान विष्णु के पांचवे अवतार भगवान वामन का जन्म इसी दिन श्रवण नक्षत्र में हुआ था।

इस दिन भक्त उचित अनुष्ठान के साथ सुबह जल्दी श्री हरि की पूजा करते हैं। इस दिन चावल, दही आदि का दान करना शुभ माना जाता है। शाम को, भक्तों को परिवार के सदस्यों के साथ वामन कथा को सुनना चाहिए और सभी के बीच प्रसाद वितरित करना चाहिए। भक्तों को उपवास रखना चाहिए और भगवान वामन को प्रसन्न करने और सभी इच्छाओं को पूरा करने के लिए उचित अनुष्ठानों के साथ पूजा करना चाहिए।

वामन जयंती महत्व (Vamana Jayanti Significance)

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, श्रवण नक्षत्र होने पर वामन जयंती का महत्व बढ़ जाता है। भक्तों को भगवान वामन की मूर्ति बनानी चाहिए और उचित अनुष्ठान के साथ उनकी पूजा करनी चाहिए। जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करता है, उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वामन जयंती की कथा (Vamana Jayanti Significance)

भगवान विष्णु के कई अवतार में से वामन अवतार को बससे महत्वपूर्ण अवतारों में से एक माना गया है। उन्हें पांचवें अवतार के रूप में जाना जाता है। श्रीमद्भगवद पुराण बताया गया है कि देव और दैत्यों के युद्ध में जब देव पराजित होने लगे और असुर सेना अमरावती पर आक्रमण करने लगी।

तब इंद्रदेव भगवान विष्णु से सुरक्षा की मांग करने उनके शरण में जा पहुंचे। भगवान ने उन्हें धैर्य दिलाया और कहा कि वह माता अदिति के गर्भ से वामन के रूप में जन्म लेकर दैत्यराज बलि से देवताओं को मुक्ति दिलाएंगे। इसके बाद उचित समय पर महर्षि कश्यप के सहयोग से माता अदिति ने पयोव्रत का अनुष्ठान किया, ये अनुष्ठान पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है।

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन माता अदिति के गर्भ से भगवान विष्णु ने वामन देव के रूप में अवतरण लिया और ब्राह्मण-ब्रह्मचारी का रूप धारण कर लिया।

एक दिन भगवान राजा बलि के यहां भिक्षा मांगने पहुंचे और भिक्षा में तीन पग भूमि मांगी। राजा बलि ने उन्हें तीन पग भूमि दान देने का वचन दिया। तब भगवान वामन ने विशाल रूप रखकर एक पग में स्वर्ग ओर दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया और अभी तीसरा पैर रखना शेष था। राजा बलि ने अपना सिर भगवान के आगे झुकाकर तीसरा पग सिर पर रखने के लिए कहा। भगवान के पैर रखते ही राजा बलि पाताल लोक पहुंच गए।

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