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Ganesh Amritvani Part 36: सुबह उठते ही करें भगवान गणेश के दर्शन, दूर होंगे कष्ट, परिवार रहेगा सुखी

Updated Dec 02, 2020 | 06:27 IST

Chanting the name of Ganapati: विघ्नहर्ता गणपति देव के नाम का जाप और दर्शन से मनुष्य की सारी ही कामनाएं पूरी होती हैं। बुधवार के दिन सुबह-सुबह गणपति जी के दर्शन हर किसी को जरूर करना चाहिए।

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Chanting the name of Ganapati, गणपति जी के इन नामों का जाप करें
मुख्य बातें
  • गणपति जी सुबह उठते ही दर्शन करना चाहिए
  • बुधवार के दिन गणपति देव का मानसिक दर्शन करें
  • गणपति जी के प्रिय नामों का जाप जरूर करें

Ganesh Amritvani Part 36: गणपति जी सर्वप्रथम पूजनीय माने गए है। उनकी पूजा से विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। गणपति देव बुद्धि, ज्ञान और धन के देवता के साथ ही सुख और समृद्धि प्रदान करने वाले माने एग हैं। बुधवार के दिन गणपति जी की विशेष पूजा का विधान होता है। मान्यता है कि इस दिन यदि मनुष्य गणपति देव का दर्शन कर उनके नाम का जाप करें तो उसकी सारी ही समस्याएं दूर हो जाती हैं।

सुबह के समय गणपति देव के साथ ईष्ट देव और कुल देवता का नाम जरूर लेना चाहिए। इससे मनुष्य की मनोकामना पूर्ण होती है। गणपति जी को अपने कुछ नामों का श्रवण करना बेहद प्रिय है इससे वह बहुत प्रसन्न होते हैं। तो आइए आपको बताएं बुधवार के दिन गणपति जी के किन नामों का जाप करें और किस विधि से पूजा करनी चाहिए।  

जानें, गणपति जी के प्रिय नाम

गजानन :  भगवान गणेश का मुख हाथी का है इसलिए उन्हें गजानन का नाम दिया गया है और यह नाम उन्हें बेहद प्रिय है।

लंबोदर : भगवान गणपति का पेट बहुत बड़ा है और कारण उनका नाम लंबोदर पड़ा है। बड़ा पेट किसी का विश्‍वास जीतने का प्रतीक माना जाता है।

गणाध्यक्ष :  गणपति जी देवगणों के अध्यक्ष हैं और इसलिए उन्हें गणाध्‍यक्ष कहा गया है। यह नाम भी उन्हें बेहद प्रिय है।

गजकर्ण : भगवान गणेश का मुख और कान हाथी के समान होने के कारण उन्‍हें सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

सुमुख : गणेशजी को सुंदर मुख वाला कहा गया है। शास्‍त्रों में उल्‍लेख है कि उनके दर्शन मात्र से ही सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। सुंदर मुख के कारण भगवान गणेश को सुमुख नाम मिला।

इस विधि से करें गणपति देव की पूजा

सुबह उठने के साथ ही गणपति देव का दर्शन करें या मन में स्मरण कर उनको प्रणाम करें। इसके बाद स्नान करें और गणपति देव के समक्ष घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं। इसके बाद  गणपति जी को कुमकुम का तिलक करें  और भगवा रंग का सूत का टुकड़ा अर्पित करें। इसके बाद गणपति जी को लाल या सुनहरे रंग का फूल अर्पित करें। सबसे आखिर में गणपति जी को बेसन के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। फिर इस

‘निर्विघ्नम् कुरुमे देव सर्व कार्येषु सर्वदा॥‘ मंत्र का जाप करें और ‘ऊं गं गणपते नमः’ का जाप करते हुए पूजा करें। इसके बाद गणपति जी कथा का पाठ करें। पूजन के दौरान गणपति जी की कथा करने से फल कई गुना बढ़ जाता है। हालांकि यह कथा गणेश चतुर्थी कथा के नाम से जानी जाती है, लेकिन इसका पाठ हर बुधवार को भी करना चाहिए। पूजन को पूरा करने के लिए अंत में गणपति जी की आरती करें और मोदक या बेसन के लड्डू का प्रसाद बच्चों और परिजनों में वितरित करें । गणपति जी को जो भोग लगाया था, उसे आप गाय को खिला सकते हैं। गाय को खिलाना संभव न हो तो पक्षियों को दे सकते हैं ।

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