- गणपति की पूजा में जरूर करें गणेश स्त्रोत का पाठ
- गणेश स्त्रोत का पाठ करने से विघ्नहर्ता गणेश हर लेते हैं सारे संकट
- नारद पुराण के अनुसार सबसे पहले देवर्षि नारद जी ने किया था गणेश स्त्रोत का पाठ
Ganesh Chaturthi 2022 Ganesh Stotra: भगवान श्रीगणेश को विघ्नहर्ता, विद्यादाता और मंगलकारी कहा जाता है। गौरी पुत्र गणपति की आराधना करने से जीवन की हर कष्टों से मुक्ति मिलती है। भगवान गणेश की उपासना करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश की पूजा के लिए गणेश चतुर्थी का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल 31 अगस्त 2022 से गणेश चतुर्थी की शुरुआत हो रही है जोकि पूरे 10 दिनों तक होगी। गणेश चतुर्थी पर गणपति की पूजा में गणेश स्त्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे आपको सभी कष्ट और पीड़ा से मुक्ति मिलती है। गणेश स्त्रोत के बारे में नारद पुराण में बताया गया है कि देवर्षि नारद जी ने सबसे पहली बार इस स्त्रोत का पाठ किया था। गणेश चतुर्थी पर सुख,समृद्धि, सौभाग्य के दाता गणपति की पूजा में इस स्त्रोत का पाठ जरूर करें। जानते हैं गणेश स्त्रोत पाठ और इससे जुड़े नियम के बारे में।
गणेश स्त्रोत पाठ
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥
नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥
॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
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इस विधि से करें गणेश स्त्रोत पाठ
गणेश स्त्रोत का पाठ करने से पहले स्नानादि करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को भी साफ करें और गणेश जी के लिए आसन तैयार करें। आसन में पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। इस पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान को लाल फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, फल, मोदक, लड्डू, पान, सुपारी और दूर्वा आदि अर्पित करें। इसके पश्चात ही गणेश स्रोत का पाठ शुरू करें। आप अपनी सुविधानुसार 5, 7, 11 या 108 बार इस स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं। पाठ का उच्चारण सही तरीके से करें और पाठ के समाप्त होने के बाद गणेश जी की आरती जरूर करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)