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Ganesh Chaturthi: गणेशोत्‍सव पर सुनें 'जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति...' आरती,  सुख-शांति से भर जाएगा घर 

Updated Sep 04, 2019 | 07:43 IST |

बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इसके साथ ही गणेश उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान गणेश भक्त बप्पा की पूजा-अर्चना के साथ आरती भी गाते हैं। 

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Ganesh Ji Ki Aarti
मुख्य बातें
  • भगवान गणेश दुखों का नाश और संकट दूर करने वाले देवता माने गए हैं
  • इनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले होती है
  • गणेश भक्त बप्पा की पूजा-अर्चना के साथ आरती भी गाते हैं

Ganesh Ji Ki Aarti: 2 सितंबर से गणेश चतुर्थी के साथ गणेशोत्‍सव की शुरुआत हो चुकी है। यह गणेशोत्‍सव 12 सितंबर तक चलेगा, उसके बाद बप्‍पा की प्रतिमा को पूरी धूम धाम के साथ पानी में विसर्जित कर दिया जाएगा। भगवान गणेश दुखों का नाश और संकट दूर करने वाले देवता माने गए हैं। इनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले होती है। यह सभी के कष्‍टों को हर लेने वाले हैं। 

आज यानि बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन उनकी पूरी विधि विधान से पूजा होती है। यही नहीं भगवान गणेश की आरती बुधवार को सुनने से भी काफी लाभ मिलता है। आज हम आपको गणेश जी की एसी आरती सुनाएंगे जो कि सबसे ज्‍यादा प्रसिद्ध है। आइये यहां सुनें गणेश जी ही यह आरती... 

जय देव जय देव आरती... 

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

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