- हर साल 4 नवरात्रि आती है, जो पौष, चैत्र आषाढ़ और अश्वनी मास में पड़ती है
- इन चार नवरात्रों में दो गुप्त नवरात्रि शामिल है
- गुप्त नवरात्रि को सामान्य नवरात्रि कहा जाता है
Gupt navratra 2022 Kab Hain: हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्यौहार का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि का त्योहार मां दुर्गा को समर्पित होता है। हर साल 4 नवरात्रि आती है, जो पौष, चैत्र आषाढ़ और अश्वनी मास में पड़ती है। इन चार नवरात्रों में दो गुप्त नवरात्रि शामिल है। गुप्त नवरात्रि को सामान्य नवरात्रि कहा जाता है। पहली गुप्त नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। यह आषाढ़ के महीने में आती है। इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 30 जून से शुरू होकर 9 जुलाई तक रहेगी। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान विधि-विधान संपूर्ण नियम के साथ पूजा व्रत रखकर मां दुर्गा को प्रसन्न किया जा सकता है। मां दुर्गा की कृपा से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। आइए जानते हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है।
सुबह उठकर ऐसे करें पूजा
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का व्रत रखने वालों को सुबह उठकर स्नान करके घट की स्थापना करनी चाहिए इसके बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा करते वक्त सुबह व शाम मां दुर्गा को मीठे बताशे का भोग लगाया जाना चाहिए वही पूजा के दौरान मां दुर्गा को श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाना चाहिए इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ का पाठ करना चाहिए
इन दस देवियों की होती है पूजा
गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या देवियों की पूजा की जाती है। इसमें तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व देवी कमला हैं। इस दिन सभी देवियों की विधि विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप जरूर करें- ओम् दुं दुर्गायै नमः का जाप करें।
इन पांच मंत्र से होगी मां दुर्गा खुश
- मंत्र : ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः । स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।।
- मंत्र : ॐ सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः । मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय ॥
-मंत्र : ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
- मंत्र : ॐ ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः । शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै ।।
-मंत्र : ॐ सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते । स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)