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Hariyali Teej Vrat Katha: हरियाली तीज की व्रत कथा, जानें पति की लंबी उम्र के लिए क्यों रखा जाता है ये व्रत

Updated Jul 31, 2022 | 17:28 IST

Hariyali Teej Vrat Katha in Hindi 2022, Sawan Somvar Vrat Katha, Vidhi, Kahani: हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस व्रत में कथा पढ़ने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। यहां पढ़ें हरियाली तीज की पौराणिक कहानी।

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Hariyali Teej vrat katha in hindi
मुख्य बातें
  • 31 जुलाई को रखा जाएगा हरियाली तीज का व्रत
  • कुंवारी लड़कियां भी मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए रखती है यह व्रत
  • जानें हरियाली तीज की कथा हिंदी में

Hariyali Teej Vrat Katha in Hindi 2022, Hariyali Teej Vrat Katha, Vidhi, Kahani: हरियाली तीज बहुत जल्द आने वाला है। यह सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास दिन होता है। हरियाली तीज बिल्कुल हरितालिका तीज की तरह होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं या कुंवारी लड़कियां भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करते करती हैं। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से पति की लंबी आयु या मनचाहा वर प्राप्त होता हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 31 जुलाई दिन रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं निर्जला रहकर पति की लंबी आयु की कामना करती है। ऐसा कहा जाता है,कि इस व्रत में कथा को पढ़ने से ही व्रत सफल होता है। तो आइए हरियाली तीज की कथा जान लें।

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हरियाली तीज 2022 की कथा (Hariyali Teej  Vrat Katha 2022)

माता पार्वती ने किया था कठोर तप

भगवान शिव माता पार्वती को पूर्वजन्म का स्मरण कराते हुए कहते हैं 'हे पार्वती तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर जल का त्याग कर सभी ऋतु का कष्ट सहकर बहुत कठिन तपस्या किया था। तुम्हारे पिताजी तुम्हें इस तरह से देख कर बहुत दुखी थे। एक दिन नारद जी भी तुम्हारे घर पधारे और तुमने उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा कि मैं विष्णु जी के भेजने पर आया है। विष्णु जी आपकी कन्या की तपस्या से प्रसन्न है और वह उनके साथ विवाह करना चाहते हैं।

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पर्वतराज ने किया अपनी पुत्री का विवाह तय

नारद मुनि की बात सुनकर माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने नारद जी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया यानी वह अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान विष्णु के साथ करने के लिए तैयार हो गए। यह सुन बात नारद मुनि ने भगवान विष्णु के पास जाकर कहें।

माता पार्वती ने जंगल में की कठिन तपस्या

तब भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं,जब तुम्हारे पिता ने यह खबर तुम्हें सुनाईं,तो तुम्हें बहुत दुख हुआ। क्योंकि तुम मन ही मन मुझे अपना परमेश्वर मान चुकी थी। तब तुमने अपनी मन की पीड़ा अपनी एक सखी से कहीं। उस सखी ने तुम्हें एक घनघोर जंगल में रहने का सुझाव दिया। तुम उस जंगल में चली गई और उस जगह तुमने मुझे पाने के लिए कठोर तपस्या करना शुरू कर दिया। जब तुम्हारे पिता को तुम्हारे जाने की बात पता चलीं, तो वह बहुत दुखी हुए और तुम्हारी चिंता करने लगें। वह सोचनें लगें इस बीच यदि भगवान विष्णु बारात लेकर हमारे दरवाजे आएंगे,तो मैं क्या करूंगा।

तपस्या हुई सफल

शिव जी ने माता पार्वती से कहा कि तुम्हारे पिता पर्वतराज हिमालय ने तुम्हारी खोज में धरती पताल एक कर दिया,लेकिन तू उन्हें कहीं नहीं मिलीं। क्योंकि तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना करने में लीन हो चुकी थी। तुम्हारी इस कठोर तपस्या से मैं बहुत प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरा करने के लिए तुम्हें दर्शन दिया। इस बीच तुम्हारे पिता भी तुम्हें ढूंढते उस गुफा में पहुंच गए। तब तुमने अपने पिता को सारी बात बताईं। तुम्हारे तुमने अपने पिता से कहा,कि मैं घर तभी चलूंगी जब आप मेरी मेरा विवाह शिवजी से कराएंगें। 

अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति 

तब शिवजी ने माता पार्वती से कहे, तुम्हारी यह बात सुनकर तुम्हारे पिता मान गए और तुम्हारा विवाह मेरे से कराया। शिवजी कहें' हे पार्वती तुमने जो कठोर तप किया है उसी के फलस्वरूप तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ है। इसलिए जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी निष्ठा से करेगीं मैं उसे मनचाहा फल अवश्य दूंगा। इस व्रत को करने वाली हर स्त्री को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होगा।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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