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Hartalika Teej 2022: हरितालिका तीज के दिन माता पार्वती का सहेलियों ने किया था अपहरण, जानिए व्रत कथा

Updated Jun 21, 2022 | 17:10 IST

Hartalika Teej 2022 Katha: इस साल हरतालिका तीज 31 जुलाई दिन रविवार के दिन रखा जाएगा। हरतालिका के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हरतालिका तीज को लेकर कई रोचक कथाएं हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Hartalika teej
मुख्य बातें
  • हरितालिका तीज का व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए रखती है
  • हरितालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है
  • इस व्रत को कुंवारी युवतियां भी रखती है

Kab Hai Hartalika Teej 2022: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर साल हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल हरितालिका तीज का व्रत 31 जुलाई रविवार के दिन रखा जाएगा। हरितालिका तीज का व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए रखती है। हरितालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को कुंवारी युवतियां भी रखती है।

माना जाता है कि कुंवारी युक्तियां सुयोग्य वर की कामना के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती है। हरितालिका तीज का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने किया था। जिससे उन्हें भगवान शिव के रूप में मिले थे। इसलिए इस व्रत को हर सुहागन महिलाएं अपने पति के लिए रखती हैं। हरितालिका शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है हरत और तालिका। इसमें हरत का अर्थ है अपहरण और आलिका का मतलब है सहेली। आइए जानते हैं इसे क्यों कहते हैं हरितालिका क्या है इसके पीछे रोचक वजह।

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हरितालिका के दिन माता पार्वती का हो गया था अपहरण

हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती का अपहरण उनकी ही सहेलियों द्वारा कर लिया जाता है, ताकि उनकी इच्छा के विरुद्ध माता पार्वती के पिता उनकी शादी भगवान विष्णु से न करवा दें। ऐसा होने से बचने के लिए माता पार्वती की सहेलियां उनका अपहरण करके उन्हें गुफा में ले जाती हैं। दरअसल, पौराणिक कथा के अनुसार नारद जी के कहने पर माता पार्वती के पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से करना चाहते थे।

माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं और भगवान शिव को पाने के लिए वे कठोर तपस्या कर रही थीं। ये बात जब उनकी सखियों को पता चली तो वे माता पार्वती का अपहरण कर लेती हैं ताकि उन्हें भगवान विष्णु से शादी करने से बचाया जा सके। माता पार्वती गुफा में भी कठोर तपस्या करती रही। इससे भोलेनाथ बहुत खुश हुए। माता पार्वती को आर्शीवाद दिया और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

 
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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