नयी दिल्ली: हजरत निजामुद्दीन दरगाह (Hazrat Nizamuddin Dargah) खुलने के बाद सीमित संख्या में लोगों ने सूफी संत की जियारत की।दरगाह की देखभाल करने वालों ने बताया कि दरगाह खुलने के बाद सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया की जियारत करने वालों में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी शामिल रहे।उन्होंने बताया कि मंत्री ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए दरगाह की ओर से किए गए उपायों की सराहना की।
दरगाह की देखभाल करने वालों में शामिल नाजिम निजामी ने बताया कि दरगाह परिसर में हजरत निजामुद्दीन औलिया और अमीर खुसरों की कब्रें हैं। इनको प्लास्टिक की शीट से कवर कर दिया गया है ताकि लोग जियारत करते वक्त इन्हें छुए नहीं क्योंकि ऐसा करने से लोगों को संक्रमण लग सकता है।
दरगाह के आंगन में भीड़ को जुटने से रोकने के लिए शाम में होने वाली सूफी संत को समर्पित कव्वाली को भी थोड़े वक्त के लिए स्थगित कर दिया गया है।निजामी ने कहा, "दरगाह खुलने के पहले दिन सीमित संख्या में जायरीन आए और हम उनका अच्छी तरह से प्रबंध कर सके। सुबह में जायरीनों की संख्या ज्यादा थी जो दोपहर में कम हुई लेकिन शाम में फिर बढ़ गई।"
उन्होंने बताया कि लोगों ने सेनेटाइजर का इस्तेमाल, मास्क लगाना और एक-दूसरे से दूरी बनाने जैसे विभिन्न सुरक्षा उपायों का पालन किया।दरगाह की देखभाल करने वालों ने बताया कि "अनलॉक" प्रक्रिया के तहत आठ जून से दिल्ली में धार्मिक स्थल खुलने लगे थे, लेकिन कोविड-19 के मामलों के कारण दरगाह बंद थी।
कोरोना काल मे संक्रमण को देखते हुए सरकार के नियमों के हिसाब से दरगाह में भी नियम बनाए गए हैं जिसके मुताबिक 10 वर्ष से कम और 65 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को दरगाह के अंदर जाने की इजाजत नहीं है।दरगाह के मुख्य द्वार पर सभी की थर्मल स्कैनिंग की जा रही है और एंट्री पर सैनिटाइजेशन टनल लगाया गया है, सैनिटाइजेशन और थर्मल स्कैनिंग के बाद टेम्परेचर सही होने पर ही अंदर जाने की अनुमती दी जा रही है।
दरगाह में मास्क लगाना अनिवार्य है और बिना मास्क के किसी को भी इजाजत नहीं है,दरगाह परिसर में जगह जगह वॉलिंटियर्स खड़े हुए हैं जो लोगों को बार-बार सोशल डिस्टेंसिंग बनाने के लिए कह रहे हैं।
हजरत निजामुद्दीन की ज़ियारत के लिए जो लोग अंदर जा रहे हैं वह दूर से ही ज़ियारत कर रहे हैं किसी को भी फूल चढ़ाने की अनुमति नहीं है। संक्रमण को देखते हुए हजरत निजामुद्दीन दरगाह में ज़ियारत वाली जगह को प्लास्टिक के परदे से चारों तरफ से ढक दिया गया है ताकि लोग दूर से ही ज़ियारत करें और मजार को छू ना सकें और ना ही फूल चढ़ा सकेंगे।
दरगाह में कैमरे से लोगों पर निगरानी रखी जाएगी,श्रद्धालुओं को दरगाह में अंदर रुकने की इजाजत नहीं होगी और दरगाह के अंदर वुजू ( हाथ मुंह धोने) की अनुमति भी नहीं है,दरगाह में अगले आदेश तक कव्वाली भी नहीं होगी।