- गढ़वाल के चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा
- बर्फीली पहाड़ियों से होकर गुजरता है रास्ता
- सात पर्वत की चोटियों से घिरा है यह गुरुद्वारा
Hemkund Sahib Gurudwara: प्रकृति की गोद में बसा समुद्रतल से लगभग 4632 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिख धर्म के पवित्र स्थलों में से एक है। इस स्थल को लेकर मान्यता है कि यहां पर गुरु गोविंद साहिब ने वर्षों तक महाकाल की अराधना की थी और वर्तमान में जन्म लिया था।
हिमालय की गोद में बसा हेमकुंड साहिब सिख धर्म के पवित्र स्थलों में से एक है। इस स्थल को लेकर सिख धर्म के श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां पर सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद साहिब ने पिछले जन्म में वर्षों तक महाकाल की अराधना की थी और वर्तमान में जन्म लिया था। यही वजह है कि सिख धर्म के लोगों का इस गुरुद्वारे को लेकर अकाध श्रद्धा है और वह तमाम दिक्कतों के बाद भी यहां पहुंचते हैं।
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे को सिख धर्म का सबसे कठिन तीर्थ यात्रा माना जाता है। चारों तरफ पथरीले पहाड़ों और बर्फीली चोटियों से ढ़का हेमकुंड साहिब समुद्रतल से लगभग 4632 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर श्रद्धालुओं को बर्फीले पहाड़ियों से गुजर कर जाना होता है। ऐसे में आइए जानते हैं हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के बारे में खास बातें।
दो से अधिक सदियों से था गुमनाम
आपको बता दें हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे का उल्लेख गुरु गोविंद साहिब की आत्मकथा में भी किया गया था। परंतु यह तीर्थ स्थल दो से अधिक सदियों से गुमनाम रहा है। एक सर्वे के मुताबिक हेमकुंड साहिब सात पर्वत की चोटी से घिरा हुआ है औऱ समुद्र तल से लगभग 4632 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर स्थित है। इसके सात पर्वत चोटी के चट्टान पर एक निशान साहिब सजा हुआ है। कहा जाता है कि एक ऐसा समय था जब कोई भी इंसान इन सात चोटियों पर चढ़ने की कल्पना तक नहीं कर सकता था। लेकिन ये चोटियां गुरु गोविंद साहिब के दर्शन के लिए सिख धर्म के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए खोल दी गई हैं। यहां पर हजारों की तादाद में गुरु गोविंद साहिब के अनुयायी मत्था टेकने के लिए आते हैं। प्रक्रति की गोद में बसा यह गुरुद्वारा देश विदेश के पर्यटकों भी अपनी ओर आकर्षित करता है।
हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे का इतिहास
गढ़वाल के चमोली जिले में स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यहां पर सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोविंद साहिब ने अपने पिछले जन्म में ध्यान साधना किया था और वर्तमान में जीवन लिया था। इस जगह का उल्लेख गुरु गोविंद साहिब के आत्मकथा में भी किया गया है। स्थानीय लोगों द्वारा इस स्थान को लोकपाल के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है लोगों का निर्वाहक। इस जगह को स्थानीय निवासियों द्वारा असामान्य, पवित्र, विस्मय और श्रद्धा का स्थान माना जाता है। यहां पर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर श्री हेमकुंड साहिब के चरणों में मत्था टेकने के लिए जाते हैं।
रामायण में भी है इस जगह का वर्णन
हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे को रामायण काल से ही माना गया है। कहा जाता है कि लोकपाल वही जगह है जहां पर भगवान श्री राम के भ्राता व शेष नाग के अवतार लक्ष्मण जी ने बैठकर साधना किया था। यह जगह लक्ष्मण जी के मनभावन के रूप में भी जानी जाती है। गुरुद्वारे से कुछ दूरी पर लक्ष्मण जी का मंदिर भी स्थित है।