- हरितालिका तीज व्रत पूजा गोधिली बेला में करें
- सास के लिए सुहाग का सिंधारा जरूर तैयार करें
- मिट्टी से शिव, पार्वती और गणपति बनाएं
हरितालिका तीज के दिन गौरी-शंकर का पूजन किया जाता है। यह व्रत हस्त नक्षत्र में होता है और इसे विवाहित ही नहीं कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं। अखंड सौभाग्य के लिए ये व्रत बेहद खास होता है। हरतालिका तीज निर्जला व्रत होता है और ये कठिन व्रत में शुमार है। नई नेवली दुल्हन के लिए इस व्रत को करना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है, लेकिन इस व्रत कि खासियत ये है कि इस व्रत की तैयारी करने और उत्साह में व्रत कब पूरा हो जाता है पता नहीं चलता।
हरितालिका तीज पर अपनी सास को या अपने से बढ़ी महिला को सुहाग और श्रृंगार का समान सजा कर सिंधारा तैयार करना भी तीज का अभिन्न अंग है। नई नवेली दुल्हन के लिए व्रत के नियम और विधि को जानना जरूरी है। तो जाने इस व्रत की विधि और पूजा करने का तरीका और पूजा सामग्री को जानें।
हरतालिका तीज की पूजन सामग्री में इन चीजों को जरूर रखें
गीली काली मिट्टी या बालू रेत, ताकि इससे शिव-पार्वती को बनाया जा सके। इसके अलावा बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनैव, नाडा, वस्त्र, फल एवं फूल पत्ते।
पार्वती मां के लिए सुहाग सामग्री
मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावर, मेहंदी आदि। इसके बाद श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद पंचामृत के लिए।
ऐसे करें हरतालिका तीज व्रत की पूजा
- सर्वप्रथम 'उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये' मंत्र का जाप कर व्रत का संकल्प लें ।
- हरतालिका पूजन प्रदोष काल में ही करना चाहिए। यानी दिन-रात वाली गोधिली बेला में।
- तीज के दिन शाम को फिर से स्नान करें और नए वस्त्र पहनें। इसके बाद माता पार्वती और शिव की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर विधि-विधान से पूजा करें। याद रखें इसमें गणेश जी की प्रतिमा भी जरूर बनाएं।
- इसके बाद सुहाग और श्रृंगार का समान सजा कर माता को अर्पित करें।
- शिवजी को भी वस्त्र दें। पूजा खत्म होने पर धोती तथा अंगोछा चढाएं और इसके बाद सुहाग और शिव जी के वस्त्र को ब्राह्मण को दे दें।
- अब माता पार्वती तथा शिव का पूजा करने के बाद हरतालिका व्रत कथा सुनें। फिर सर्वप्रथम गणेशजी की आरती करें और उसके बाद शिवजी और फिर माता पार्वती की आरती करें।
- भगवान की परिक्रमा करें और रात में जगराता करें और तीज के गीत गाएं।
- सुबह पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं।
- ककड़ी-हलवे का भोग लगाएं और फिर इसी ककड़ी को खाकर उपवास खोल लें।
तीज पर नवविवाहिताओं को बड़े-बुजुर्गों का आर्शीवाद जरूर लेना चाहिए। खास कर अपनी सास या सास समान माताओं का।
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