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Skand Shashthi 2022: संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है स्कंद षष्ठी व्रत, जाने पूजा की विधि व शुभ मुहुर्त

Importance Of Skand Shashthi 2022
Updated Jul 02, 2022 | 08:55 IST

Importance Of Skand Shashthi 2022 Vrat: हिंदू पंचांग के अनुसार जुलाई के महीने में स्कंद षष्टि का व्रत 5 जुलाई को रखा जाएगा। यह व्रत संतान के लिए रखा जाता है। स्कंद षष्टि का व्रत भोलेनाथ व माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता है।

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Importance Of Skand Shashthi 2022Importance Of Skand Shashthi 2022
तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Skand Sashti vrat
मुख्य बातें
  • स्कंद षष्टि व्रत भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता है
  • भगवान कार्तिकेय का एक नाम स्कंद कुमार भी है
  • स्कंद षष्टि व्रत के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है

Skand Sashti Vrat 2022: हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्टि व्रत रखा जाता है। जुलाई के महीने में स्कंद षष्टि का व्रत 5 जुलाई यानी मंगलवार के दिन रखा जाएगा। संकट पष्टि व्रत भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता है। भगवान कार्तिकेय का एक नाम स्कंद कुमार भी है। स्कंद षष्टि व्रत के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय की विधि विधान से पूजा करने पर व्यक्ति को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्कंद षष्टि व्रत रखा जाता है। यह व्रत संतान पष्टि के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं व्रत से जुड़े शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...

जानिए शुभ मुहूर्त

- आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 5 जुलाई दिन मंगलवार 2:57 से होगा।
- षष्ठी तिथि का समापन 6 जुलाई दिन बुधवार को 7:19 पर होगा।
- स्कंद षष्ठी का व्रत 5 जुलाई को रखा जाएगा।

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जानिए, इस व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में मान्यता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत रखने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। यह व्रत संतान सुख शांति के लिए रखा जाता है। इस व्रत को रखने से बच्चों को सुख व लंबी आयु की प्राप्ति होती है। स्कंद षष्ठी व्रत की कथा के अनुसार, च्यवन ऋषि के आंखों की रोशनी चली गई थी, तो उन्होंने यह व्रत रखा था और स्कंद कुमार की पूजा की थी। व्रत के पुण्य प्रभाव से उनके आंखों की रोशनी वापस आ गई। दूसरी कथा में बताया गया है कि प्रियव्रत का मृत बच्चा दोबारा जीवत हो उठा था।

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सभी कष्टों से मिलती है मुक्ति

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने वाले को लोभ, मोह, क्रोध और अहंकार से मुक्ति मिल जाती है। धन, यश और वैभव में वृद्धि होती है।  व्यक्ति सभी शारीरिक कष्टों और रोगों से छुटकारा पाता है। 

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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