- हिंदू धर्म में देवी-देवता के साथ पेड़-पौधों का भी होता है महत्व
- शुक्र ग्रह से होता है गूलर पेड़ का संबंध
- धन और विलासिता का ग्रह है शुक्र
Gular Tree Remedies For Money: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में सिर्फ देवी-देवताओं की ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी और पेड़-पौधों की पूजा की महत्व के बारे में भी बताया गया है। पीपल, केला, तुलसी और बरगद जैसे कई पेड़-पौधों की पूजा हिंदू धर्म में की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसर, कई पेड़-पौधों में दैवीय गुण या देवी-देवताओं का वास होता है। वहीं ज्योतिष में इस बात का जिक्र किया गया है कि पेड़-पौधों का किसी न किसी ग्रह से संबंध होता है। इसी तरह गूलर के पेड़ को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पेड़ का संबंध शुक्र ग्रह से होता है।
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कुंडली में शुक्र है कमजोर तो होगी धन की कमी
शुक्र ग्रह को धन और विलासिता का ग्रह कहा जाता है। व्यक्ति की कुंडली में यदि शुक्र ग्रह की स्थिति कमजोर है तो धन की कमी बनी रहती है। गूलर के पेड़ का संबंध शुक्र ग्रह से होता है। इसलिए इस पेड़ की पूजा और इससे जुड़े उपाय करने से धन लाभ होता है। अगर घर पर धन का अभाव बना हुआ है और खूब मेहनत करने के बावजूद भी धन की समस्या बनी रहती है तो आप ज्योतिष सलाह से शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए कुछ उपाय जरूर करें।
गूलर पेड़ के इन उपायों से होगा धन लाभ
जैसा कि बताया गया कि गूलर पेड़ का संबंध शुक्र ग्रह से होता है। शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए आप किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन गूलर का पौधा लगाएं और इसमें नियमित रूप से जल दें। प्रतिदिन या प्रत्येक शुक्रवार इस पौधे पर धूप दीप भी दिखाएं। जैसे-जैसे गूलर का पेड़ बड़ा होता जाएगा आपकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती जाएगी और धन का अभाव समाप्त हो जाएगा।
गूलर के पेड़ से जुड़ा एक और उपाय आपको धनवान बना सकता है। शुक्रवार के दिन गूलर के पेड़ की लकड़ियों से हवन कराएं। हवन के दौरान ‘ओम शं शुक्राय नम:’ मंत्र का उच्चारण जरूर करें। इससे भी कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। यदि मामला भूमि विवाद से जुड़ा है तो इस समस्या से निजात के लिए आप शुक्ल पक्ष के किसी शुक्रवार को गूलर पेड़ का जड़ ले आए। जड़ पर गंगाजल छिड़क दें और फिर चांदी में इसकी ताजीब बनवा लें। इससे भी कुछ दिनों में आपको धन की समस्या कम होती हुई दिखेगी।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)